गुरू के प्रति विशेष श्रद्वा प्रकट करने का पर्व है गुरू पूर्णिमा

गुरू के प्रति विशेष श्रद्वा भाव प्रकट करने का पर्व गुरू पूर्णिमा हिन्दू धर्म में आषाढ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन सुप्रसिद्व साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है जिसे व्यास पूर्णिमा कहा भी जाता है।

गुरु पूर्णिमा 2019

गुरु पूर्णिमा तिथि 16 जुलाई 2019, मंगलवार
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 16 जुलाई, 01:48 बजे से
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त 17 जुलाई, 03:07 बजे तक

गुरू पूर्णिमा पर इस तरह करें पूजा – गुरू पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण कर लेने चाहिए।बाद में महर्षि वेद व्यास जी की विधिवत पूजा अर्चना की जानी चाहिए। इस दिन अपने गुरू के पास जाकर चरण छूकर उनका आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए और गुरू को फूल माला पहना कर उन्हें वस्त्र, फल और दक्षिणा दी जानी चाहिए।

ज्ञान के प्रकाश की राह दिखाते हैं गुरू — किसी भी व्यक्ति को अंधकार रूपी अज्ञानता से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश की राह दिखाने का कार्य गुरू ही करते हैं। इसलिए हिन्दू धर्म में हर इंसान को अपना गुरू जरूर बनाने की सलाह दी जाती है जिससे समय पर उचित ज्ञान व मार्गदर्शन मिल सकें।

इस दिन बोलें यह मंत्र —
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर,
गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: । ।
अर्थात- गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।

इसलिए भी है गुरू पूर्णिमा का महत्व — गुरु पूर्णिमा का पर्व वर्षा ऋतु के आस पास आता है इसलिए इस दिन से अगले कुछ महीनों तक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान बांटते हैं। इन महीनों में न तो अधिक गर्मी और न ही अधिक सर्दी होती है इस वजह से ये महीने अध्ययन के लिए उपयुक्त होते हैं।