गुप्त नवरात्रि माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है इस साल गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू हुई और 18 फरवरी को समाप्त होगी। नवरात्रि का त्योहार साल में 4 बार मनाया जाता है, जिसमें दो चैत्र और शारदीय नवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती हैं और दो गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ महीने में होती हैं। तंत्र साधना और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यदि आप यह जानना चाह रहे हैं कि इस शुभ दिन का अधिक से अधिक लाभ कैसे उठाया जाए, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि का महत्व और शुभ समय और कुछ मंत्र जो आपके जीवन में शांति और सद्भाव लाने में मदद करते हैं।

माघ गुप्त नवरात्रि 2024 तिथि

माघ मास की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी, शनिवार से शुरू हो रही है और गुप्त नवरात्रि 18 फरवरी, रविवार को समाप्त होगी। इस बार गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिनों तक चलने वाली है। प्रतिपदा तिथि का आरंभ – 10 फरवरी, प्रातः 4:28 बजे से

गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि 9 दिनों का एक विशेष त्योहार है जहां देवी दुर्गा के 10 अलग-अलग रूपों (महाविद्याओं) की गुप्त रूप से पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान तंत्र क्रिया और पूजा करने से आशीर्वाद और सुख मिलता है और परेशानियां दूर होती हैं। शास्त्र कहते हैं कि अलग-अलग युगों में अलग-अलग नवरात्रि उत्सव सबसे महत्वपूर्ण थे – सत्ययुग में चैत्र नवरात्रि, त्रेतायुग में आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि, द्वापर युग में माघ में गुप्त नवरात्रि और कलियुग में आश्विन और शारदीय नवरात्रि। कुल मिलाकर, नवरात्रि देवी दुर्गा की शक्ति की पूजा करती है और हिंदू धर्म में इसे आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा करने से समृद्धि मिलती है और आपके जीवन से समस्याएं दूर हो जाती हैं।

गुप्त नवरात्रि के शुभ मंत्र

धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए, आप निम्नलिखित मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

1. महालक्ष्मी मंत्र:

ॐ श्रीं महालक्ष्मियै नमः यह मंत्र देवी महालक्ष्मी को समर्पित है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। इस मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

2. कुबेर मंत्र:

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि स्वाहा यह मंत्र भगवान कुबेर को समर्पित है, जो धन के देवता हैं। इस मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन करने से धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

3. श्री यंत्र मंत्र:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं लक्ष्मी नमः यह मंत्र श्री यंत्र को समर्पित है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है। इस मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन करने से धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

4. गणपति मंत्र:

ॐ गं गणपतये नमः यह मंत्र भगवान गणेश को समर्पित है, जो सभी बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं। इस मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन करने से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्त करने में मदद मिलती है।

5. नवग्रह मंत्र:

ॐ ग्रहाणां त्वां प्रणमामि सर्वकामार्थसिद्धये यह मंत्र नवग्रहों को समर्पित है। ग्रहों की शुभ स्थिति धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन करने से ग्रहों की शुभ स्थिति प्राप्त होती है और धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इन मंत्रों का जाप करते समय ध्यान रखें:
  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान पर बैठें।
  • माला का प्रयोग करें।
  • एकाग्रचित होकर मंत्र का जाप करें।
  • मंत्र का जाप नियमित रूप से करें।
गुप्त नवरात्रि के दौरान इन मंत्रों का जाप करने से आपको धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह भी ध्यान रखें:
  • केवल मंत्रों का जाप करने से ही पर्याप्त नहीं है। आपको कर्म भी करना होगा।
  • ईश्वर पर विश्वास रखें और सकारात्मक सोच रखें।
  • दान-पुण्य करें और जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
इन सब बातों का ध्यान रखकर आप निश्चित रूप से धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्त कर सकते हैं।

गुप्त नवरात्रि के मंत्र:

1. मां कात्यायनी मंत्र:

विवाह बाधा दूर करने के लिए: कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।। पुरुषों के विवाह के लिए: देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

2. मां सरस्वती मंत्र:

बुद्धि और ज्ञान प्राप्ति के लिए: ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:। शिक्षा में सफलता के लिए: या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।। या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।

3. मां लक्ष्मी मंत्र:

धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं लक्ष्मी नम:। आर्थिक समृद्धि के लिए: ॐ नमो नारायणाय।

4. मां दुर्गा मंत्र:

शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नम:। सुरक्षा और रक्षा के लिए: ॐ दुं दुर्गायै नम:। गुप्त नवरात्रि में पूजा-अर्चना:
  • नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करें।
  • सुबह-शाम दीप जलाएं, आरती करें और मंत्रों का जप करें।
  • नौ कन्याओं को भोजन करवाएं।
  • दान-पुण्य करें।
  • गुप्त नवरात्रि में किए गए उपायों से जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
नोट: यह जानकारी सामान्य ज्ञान के आधार पर दी गई है। किसी भी मंत्र का जप करने से पहले किसी विद्वान या गुरु से सलाह अवश्य लें।

*सिद्धिदायक हैं गुप्त नवरात्र*

मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्तनवरात्र से बढ़कर कोई साधना काल नहीं हैं। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्तनवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान व व्रत-उपवास के विधान शास्त्रों में मिलते हैं। इन अनुष्ठानों के प्रभाव से मानव को सहज ही सुख व अक्षय ऎश्वर्य की प्राप्ति होती है। “दुर्गावरिवस्या” नामक ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है कि साल में दो बार आने वाले गुप्त नवरात्रों में भी माघ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र मानव को न केवल आध्यात्मिक बल ही प्रदान करते हैं बल्कि इन दिनों में संयम-नियम व श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की उपासना करने वाले व्यक्ति को अनेक सुख व साम्राज्य भी प्राप्त होते हैं। “शिवसंहिता” के अनुसार ये नवरात्र भगवान शंकर और आदिशक्ति मां पार्वती की उपासना के लिए भी श्रेष्ठ है।

विवाह बाधा करें दूर

कुमारी कन्याओं को भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इन नौ दिनों माता कात्यायनी की पूजा-उपासना करनी चाहिए। “दुर्गास्तवनम्” जैसे प्रामाणिक प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि इस मंत्र का 108 बार जप करने से कुमारी कन्या का विवाह शीघ्र ही योग्य वर से संपन्न हो जाता है- “कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।।” इसी तरह जिन पुरूषों के विवाह में विलंब हो रहा हो उन्हें भी लाल पुष्पों की माला देवी को चढ़ाकर इस मंत्र के 108 बार जप पूरे नौ दिन तक करने चाहिए- “देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।” शिशिर ऋतु के पवित्र माघ मास में शुभ्र चांदनी को फैलाते शुक्ल पक्ष में मंदिर-मठों और सिद्ध देवी स्थानों में “दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।” की शास्त्रीय ध्वनि सुनाई देने लगती है। ये मंत्र वे हैं, जिन्हें सहस्राब्दियों से हमारी संस्कृति में भगवती से वर प्राप्ति के लिए जपा जाता है। नवरात्र यानी तांत्रिक-यांत्रिक-मांत्रिक साधना का सर्वोत्तम काल और पूरे नौ दिनों तक कन्यारूपिणी शक्ति-कुमारी माता दुर्गा का पूजन-अर्चन-वंदन और पाठ। हमारे यहां नवरात्र वर्ष में चार बार आते हैं। दो बार प्रत्यक्ष व दो बार गुप्त रूप में।

देवी की महिमा अपार

शास्त्र कहते हैं कि आदिशक्ति का अवतरण सृष्टि के आरंभ में हुआ था। कभी सागर की पुत्री सिंधुजा-लक्ष्मी तो कभी पर्वतराज हिमालय की कन्या अपर्णा-पार्वती। तेज, द्युति, दीप्ति, ज्योति, कांति, प्रभा और चेतना और जीवन शक्ति संसार में जहां कहीं भी दिखाई देती है, वहां देवी का ही दर्शन होता है। ऋषियों की विश्व-दृष्टि तो सर्वत्र विश्वरूपा देवी को ही देखती है, इसलिए माता दुर्गा ही महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में प्रकट होती है। देवीभागवत में लिखा है कि देवी ही ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का रूप धर संसार का पालन और संहार करती हैं। जगन्माता दुर्गा सुकृती मनुष्यों के घर संपत्ति, पापियों के घर में अलक्ष्मी, विद्वानों-वैष्णवों के ह्वदय में बुद्धि व विद्या, सज्जनों में श्रद्धा व भक्ति तथा कुलीन महिलाओं में लज्जा एवं मर्यादा के रूप में निवास करती है। मार्कण्डेयपुराण कहता है कि “हे देवि! तुम सारे वेद-शास्त्रों का सार हो। भगवान् विष्णु के ह्वदय में निवास करने वाली मां लक्ष्मी-शशिशेखर भगवान् शंकर की महिमा बढ़ाने वाली मां तुम ही हो।”

नवरात्र में सरस्वती पूजा महोत्सव

माघी नवरात्र में पंचमी तिथि सर्वप्रमुख मानी जाती है। इसे श्रीपंचमी, वसंत पंचमी और सरस्वती महोत्सव के नाम से कहा जाता है। प्राचीन काल से आज तक इस दिन माता सरस्वती का पूजन-अर्चन किया जाता है। यह त्रिशक्ति में एक माता शारदा के आराधना के लिए विशिष्ट दिवस के रूप में शास्त्रों में वर्णित है। कई प्रामाणिक विद्वानों का यह भी मानना है कि जो छात्र पढ़ने में कमजोर हो या जिनकी पढ़ने में रूचि नहीं हो, ऎसे विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए। देववाणी संस्कृत भाषा में निबद्ध शास्त्रीय ग्रंथों का दान संकल्पपूर्वक विद्वान ब्राह्मणों को देना चाहिए। महानवमी को पूर्णाहुति गुप्तनवरात्र में संपूर्ण फल की प्राप्ति के लिए अष्टमी और नवमी को आवश्यक रूप से देवी के पूजन का विधान शास्त्रों में वर्णित है। माता के संमुख “जोत दर्शन” एवं कन्या भोजन करवाना चाहिए। नारीरूप में पूजित देवी कूर्मपुराण में धरती पर देवी के बिंब के रूप में स्त्री का पूरा जीवन नवदुर्गा की मूर्ति के रूप से बताया है। जन्म ग्रहण करती हुई कन्या “शैलपुत्री”, कौमार्य अवस्था तक “ब्रह्मचारिणी” व विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से “चंद्रघंटा” कहलाती है। नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भधारण करने से “कूष्मांडा” व संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री “स्कंदमाता” होती है। संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री “कात्यायनी” व पतिव्रता होने के कारण पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से “कालरात्रि” कहलाती है। संसार का उपकार करने से “महागौरी” व धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार को सिद्धि का आशीर्वाद देने वाली “सिद्धिदात्री” मानी जाती है।

नवरात्र में घट स्थापना

शास्त्रीय मान्यता के अनुसार स्वच्छ दीवार पर सिंदूर से देवी की मुख-आकृति बना ली जाती है। सर्वशुद्धा माता दुर्गा की जो तस्वीर मिल जाए, वही चौकी पर स्थापित कर दी जाती है, परंतु देवी की असली प्रतिमा तो “घट” है। घट पर घी-सिंदूर से कन्या चिह्न और स्वस्तिक बनाकर उसमें देवी का आह्वान किया जाता है। देवी के दायीं ओर जौ व सामने हवनकुंड। नौ दिनों तक नित्य देवी का आह्वान फिर स्नान, वस्त्र व गंध आदि से षोडशोपचार पूजन। नैवेद्य में पतासे और नारियल तथा खीर। पूजन और हवन के बाद “दुर्गासप्तशती” का पाठ करना श्रेष्ठ है। साथ ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने के लिए नवदुर्गा के प्रत्येक रूप की प्रतिदिन पूजा-स्तुति करनी चाहिए।

दस महाविद्या व कामना मंत्र

सर्व प्रथम गुप्त नवरात्रों की प्रमुख देवी सर्वेश्वर्यकारिणी माता को धूप, दीप, प्रसाद अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से प्रतिदिन ग्यारह माला ॐ ह्नीं सर्वैश्वर्याकारिणी देव्यै नमो नम:।’ मंत्र का जप करें। पेठे का भोग लगाएं। इसके बाद मनोकामना के अनुसार निम्न में से किसी मंत्र का जप करें। यह क्रम नौ दिनों तक गुप्त रूप से जारी रखें। काली : लम्बी आयु, ग्रह जनित दुष्प्रभाव, कालसर्प, मांगलिक प्रभाव, अकाल मृत्यु का भय आदि के लिए काली की साधना करें। मंत्र- ‘क्रीं ह्नीं ह्नुं दक्षिणे कालिके स्वाहा:।’ हकीक की माला से नौ माला जप प्रतिदिन करें। तारा : तीव्र बुद्धि, रचनात्मकता, उच्च शिक्षा के लिए मां तारा की साधना नीले कांच की माला से बारह माला मंत्र जप प्रतिदिन करें। मंत्र- ‘ह्नीं स्त्रीं हुम फट।’ त्रिपुर सुंदरी : व्यक्तित्व विकास, स्वस्थ्य और सुन्दर काया के लिए त्रिपुर सुंदरी देवी की साधना करें। रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। दस माला मंत्र जप अवश्य करें। मंत्र- ‘ऐं ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:।’ भुवनेश्वरी: भूमि, भवन, वाहन सुख के लिए भुवनेश्वरी देवी की आराधना करें। स्फटिक की माला से ग्यारह माला प्रतिदिन जप करें। मंत्र-‘ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:।’ छिन्नमस्ता : रोजगार में सफलता, नौकरी, पदोन्नति आदि के लिए छिन्नमस्ता देवी की आराधना करें। रुद्राक्ष की माला से दस माला प्रतिदिन जप करें। मंत्र- ‘श्रीं ह्नीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा’। त्रिपुर भैरवी : सुन्दर पति या पत्नी प्राप्ति, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए मूंगे की माला से पंद्रह माला मंत्र का जप करें। मंत्र- ‘ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:।’ धूमावती : तंत्र, मंत्र, जादू टोना, बुरी नजर, भूत प्रेत, वशीकरण, उच्चाटन, सम्मोहन, स्तंभन, आकर्षण और मारण जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए देवी घूमावती के मंत्र की नौ माला का जप मोती की माला से करें। मंत्र- ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:।’ बगलामुखी: शत्रु पराजय, कोर्ट कचहरी में विजय, प्रतियोगिता में सफलता के लिए हल्दी या पीले कांच की माला से आठ माला मंत्र का जप करें। मंत्र- ‘ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नी ॐ नम:।’ मातंगी : संतान, पुत्र आदि की प्राप्ति के लिए स्फटिक की माला से बारह माला मंत्र जप करें। मंत्र-‘ह्नीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:।’ कमला : अखंड धन-धान्य प्राप्ति, ऋण मुक्ति और लक्ष्मी जी की के लिए देवी कमला की साधना करें। कमल गट्टे की माला से दस माला प्रतिदिन मंत्र का जप करें। मंत्र- ‘हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:।’ ||जय माता दी||