चंद्र ग्रहण से जुडी धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यताएं

ज्योतिषशास्त्र व वैज्ञानिक नजरिए से चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है। इस वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के दिन 16-17 जुलाई की मध्य रात्रि को पूर्ण चंद्रग्रहण होने जा रहा है। चंद्र ग्रहण के दिन गुरु पूर्णिमा होने की वजह से भी चंद्रग्रहण का विशेष महत्व रहेगा। जानिये,चंद्र ग्रहण से जुडी प्रमुख बातें व मान्यताएं-

भारत में चंद्रग्रहण का समय – भारत में चंद्रग्रहण की शुरुआत 16—17 जुलाई की रात्रि 1 बजकर 31 मिनट अर्थात् 25 बजकर 31 मिनट से होगी और सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर ग्रहण समाप्त होगा। इस तरह चंद्रग्रहण लगभग 2 घंटे 59 मिनट की अवधि का रहेगा।

सूतक – चंद्र ग्रहण से कुछ घंटे पूर्व सूतक काल प्रारम्भ होता है। सूतक काल में कई बातों का ध्यान रखना चाहिए और मुख्य तौर पर ज्यादा गुस्सा तथा नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

चंद्र ग्रहण कारण – वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आती है तो चंद्र ग्रहण की घटना होती है। इस दौरान सूर्य व चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आने से चंद्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है और सूर्य की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं।

धार्मिक मान्यताएं – हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रहण से धार्मिक मान्यताएं जुडी हुई हैं और इस दौरान विशेष सावधानी बरतने के लिए कहा जाता है।

  • ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करने की मान्यता है और ऐसा करने पर शरीर बीमारी से ग्रसित होने की आशंका रहती है।
  • सूतक एवं ग्रहण काल में नकारात्मक विचारों से दूर रहकर मंत्र जाप, ध्यान आदि करने चाहिए।
  • ग्रहण के समय में भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना, नाख़ून काटना, बाल कटवाना, मैथुन आदि कार्य नहीं करने चाहिए।
  • ग्रहण के समय मन्दिरों के पट बन्द कर दिए जाते हैं। चूंकि श्रद्वालु नियमित मन्दिर जाते हैं इसलिए ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचाव के लिए ही मन्दिरों के पट बन्द किए जाने की मान्यता है।

वैज्ञानिक मान्यताएं –

  • ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए क्यों कि ग्रहण काल में पैदा होने वाले छोटे जीवाणु भोजन को दूषित कर देते हैं और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पडता है इसलिए इस दौरान कुछ नहीं खाना चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान पाचन शक्ति कमजोर होती है और भोजन करने पर गैस,अपच जैसी समस्याएं परेशान करती है इसलिए ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर भौगोलिक घटनाओं का खतरा बढ जाता है और भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाएं होने की आशंका रहती है।