तुलसी सनातन धर्म में पूजनीय और देवीय रूप में मानी जाती है। भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इसे ‘हरिप्रिया’ भी कहा जाता है। आयुर्वेद में तो तुलसी के अनेकों गुण बताये गए हैं इसके विशिष्ट गुणों के कारण ही भारत भर के, विशेष रूप से सनातन धर्म को मानने वाले घरों में आज भी तुलसी का पौधा स्थापित किया जाता है।

तुलसी के गुण :

तुलसी कई रोगों के लिए काम आने वाली औषधि है। खांसी−जुकाम, इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए, बुद्धि वर्धक आदि कई रोगों में कारगर औषधि के रूप में इसे जाना जाता है। इसमें एंटी−ऑक्सीडेंट्स व एंटी−इंफलामेटरी प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं।

• अगर सुबह उठकर पांच−छह तुलसी के पत्तों का सेवन किया जाए तो इससे शरीर से विषैले तत्वों का नाश होता है।

• मेटाबॉलिज्म बूस्ट होकर शरीर में तंदरूस्ती आती है।

विभिन्न रोगों में तुलसी के उपयोग :

ब्लड शुगर :

तुलसी का पानी प्रतिदिन सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है। यह शरीर में मौजूद शर्करा को ऊर्जा में परिवर्तित करने में फायदेमंद है।

पाचन शक्ति में सुधार :

तुलसी के पानी और इसके पत्तों का सेवन नित्य प्रति करने से आतों में जमा विषैले तत्व समाप्त होते हैं और पाचन से जुड़ी समस्याओं में फायदा मिलता है। एसिड रिफ्लक्स में भी तुलसी एक कारगर औषधि के रूप में कार्य करती है।

श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने में :

तुलसी में मौजूद इम्युनिटी बूस्ट करने के गुण सर्दी, फ्लू, मौसमी बुखार आदि में सहायक होते हैं । अस्थमा जैसे रोगों में भी इसे गुणकारी औषधि माना जाता है। इसमें इम्युनोमोड्यूलेटरी, एंटीट्यूसिव और एक्सपेक्टोरेंट गुण होते हैं जो विभिन्न श्वसन समस्याओं को दूर रख सम्पूर्ण श्वसन तंत्र को राहत प्रदान करते हैं। ब्रोंकाइल कंजेसन में भी तुलसी अच्छी औषधि है।

मानसिक तनाव में :

तनाव को दूर करने के लिए शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का संतुलन में होना जरुरी है। इसे ही तनाव हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। तुलसी के औषधीय गुण अवसाद और चिंता को दूर कर मानसिक मजबूती प्रदान करता है।

वजन नियंत्रण में :

तुलसी का पानी पाचक रसों एवं एंजाइमों को उत्तेजित करती है। पाचन तंत्र के संतुलित रूप में काम करने से शरीर में फैट जमा नहीं पाता।

सुबह के समय खाली पेट खाएं तुलसी के पत्ते :

खाली पेट तुलसी के पत्ते खाने से ऐसिडिटी और पेट में जलन की परेशानी दूर होती है। शरीर का पीएच स्तर भी तुलसी से नियंत्रित रहता है।

विशेष : पत्तों को खाते समय इन्हें दातों से चबाएं नहीं सीधा निगल लें। तुलसी में मौजूद मर्करी दातों के लिए नुकसान देह हो सकती है।

भारतीय धार्मिक ग्रंथों में तुलसी को इसीलिए पूजनीय एवं देवी का रूप माना गया है। इन सब उपायों के अलावा भी तुलसी कई अन्य रोगों में औषधियों के साथ मिश्रण के रूप में ली जाती है। इसके चमत्कारिक गुण होने के कारण आज भी लोग इसे घर में लगाते हैं।