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627 Views 2018-10-10 11:34:11

मां दुर्गा की पूजा से मिलेगा सकारात्मकता का वरदान

मां दुर्गा की पूजा से मिलेगा सकारात्मकता का वरदान

हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि का प्रमुख महत्व है और नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा अराधना कर माता को प्रसन्न​ किया जाता है। नवरात्रि में विधिपूर्वक पूजा व उपवास रखने से देवी प्रसन्न होकर जीवन में उन्नति व घर में सकारात्मकता का वरदान देती है।

शारदीय नवरात्रि मुहूर्त 2018

नवरात्रि प्रारंभ बुधवार,10 अक्टूबर 2018
घट स्थापना श्रेष्ठ समय सुबह 06:27 से 07:25 तक
महाअष्टमी बुधवार, 17 अक्टूबर
महानवमी गुरूवार, 18 अक्टूबर

नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘नौ रातें’ अर्थात् इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान देवी शक्ति के नौ विभिन्न रूपों की पूजा अराधना की जाती है। देवी दुर्गा की पूजा से जीवन के दुख दूर होते हैं।नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष नियमों का भी पालन करना जरूरी होता है तभी पूजा का पूरा फल मिलता है।

  • नवरात्रि में पहले दिन सुबह जल्दी उठकर घर में बने मंदिर की साफ सफाई करनी चाहिए।
  • स्नान कर शुद्वता व पूर्ण श्रद्धा भाव से शुभ मुहूर्त में कलश यानि घट स्थापना ​करें और देवी माँ की चौकी स्थापित कर सबसे पहले गणेशजी का पूजन करें।
  • मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर अक्षत, लाल चुनरी, सिंदूर, फूलमाला, रोली आदि से पूजा करें और देवी मां की प्रतिमा के पास अखंड दिया जलाएं और प्रसाद चढा कर आरती भी करें।
  • दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर विधिवत पूजा के बाद संकल्प लेकर नवरात्रि के व्रत शुरू कर शाम के समय भी पुन: स्नान के बाद देवी मां की विधिपूर्वक पूजा अर्चना के बाद व्रत खोलें।
  • नियमित सुबह व शाम देवी की पूजा अर्चना व प्रसाद लगाने के बाद अंतिम नौवें दिन कन्याओं को आमंत्रित कर घर बुलाकर उनकी पूजा कर व भोजन करा कर दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें तभी नवरात्रि व्रत संपूर्ण माने जाएंगें।
  • धर्म ग्रंथों के अनुसार सबसे पहले श्री रामचंद्र जी ने शारदीय नवरात्रि में समुद्र तट पर देवी की पूजा की थी और बाद में लंका पर विजय पाने के लिए प्रस्थान किया और दसवें दिन विजय प्राप्त की थी तभी से नवरात्रि पूजा का महत्व माना गया है।
  • नवरात्रि को भारत के विभिन्न राज्यों में अलग अलग तरीके से धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • नौ दिनों तक देवी शक्ति की विशेष पूजा व ध्यान से दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों के जीवन में समस्त संकट,बाधाएं दूर कर मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

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