Browse:
723 Views 2018-04-27 08:43:59

कीजिए श्रद्धा से श्राद्ध और तर्पण, प्रसन्न होंगे पितृजन

हर काम में आती है अड़चन, संबंधों में होती है अनबन, कर्ज से ज़िंदगी हुई दूभर, दूर होगी हर उलझन। कीजिए श्रद्धा से श्राद्ध और तर्पण। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण दान द्वारा ही पूरा किया जाता है। श्राद्ध और तर्पण के जरिए ही लोग अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए कामना करते हैं। श्राद्ध से जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें हैं जो काफी कम लोग जानते हैं। कई बार विधि पूर्वक श्राद्ध ना करने से पितृ श्राप भी दे देते हैं। तो आईए जानते हैं श्राद्ध से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

श्राद्ध तिथि 2018

प्रारंभ तिथि

24 सितंबर (सोमवार) पूर्णिमा

समाप्ति तिथि

8 अक्टूबर (सोमवार) सर्वपितृ अमावस्या

श्राद्ध से जुड़े नियम

  • श्राद्ध कर्म में गाय का घी, दूध या दही काम में लाना चाहिए।
  • श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग किया जाए तो यह शुभ फल दायक होता है और पितर प्रसन्न होते हैं।
  • श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन करवाना आवश्यक है, जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण के श्राद्ध कर्म करता है, उसका श्राद्ध पूरा नहीं होता है। इसलिए श्राद्ध वाले दिन कम से कम एक ब्राह्मण को तो भोजन जरूर कराएं।
  • श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाते समय परोसने के बर्तन दोनों हाथों से पकड़ कर लाने चाहिए, एक हाथ से लाए अन्न पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षस छीन लेते हैं ऐसी मान्यता है।
  • ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर एवं व्यंजनों की प्रशंसा किए बगैर करना चाहिए क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं जब तक ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करते हैं।
  • श्राद्ध हमेशा अपने ही घर में करना चाहिए, किसी और के घर में किया गया श्राद्ध पाप का भागीदार बना सकता है। आप चाहे तो मंदिर या किसी भो तीर्थ स्थल पर श्राद्ध कर सकते हैं।
  • श्राद्ध करते समय ब्राह्मण का चयन भी सोच समझकर करना चाहिए, ब्राह्मण उच्च कोटि का हो जिसे धर्म शास्त्र का ज्ञान हो।
  • यदि आपके घर के आस-पास घर की बेटी, दामाद या नाती-नातिन रहते हैं तो उन्हें श्राद्ध के भोज में अवश्य शामिल करें।
  • श्राद्ध करते समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदर पूर्वक भोजन करवाना चाहिए।

यह थे श्राद्ध के नियम। इन नियमों के साथ आप भी श्राद्ध को पूरा करें और अपने पितरों को प्रसन्न करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*