घर वो जगह है जहां एक ही छत के नीचे हम अपने परिवार और प्रियजनों के साथ सुख-दुख बांट सकते हैं। लेकिन कई बार वास्तु दोष के कारण ऑफिस और घर में कुछ भी ठीक नहीं चलता। हम सोचतें हैं कि कब हमारे व्यापार को सही दिशा मिलेगी, नौकरी कब अच्छी हो जाएगी। हमें अपने ऑफ़िस में मान सम्मान पैसा कब मिलेगा। इन सभी समस्याओं का कारण कहीं न कहीं वास्तुदोष भी हो सकता है। वास्तु दोष दूर कर बिगड़े हुए कार्यों को सुधारा जा सकता है. आइए जानते हैं।

दरवाजें व खिड़कियां

घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा अथात ईशान कोण में बनाना अच्छा माना जाता है। वास्तु में उत्तर को कुबेर का स्थान माना जाता है। खिड़कियां व दरवाजें का इन्हीं दिशाओं में होना लक्ष्मी प्रवेश के लिहाज से उत्तम होता है।

पूजाघर

घर में मंदिर पूर्वोत्तर (ईशान) दिशा में शुभ है. पश्चितम और दक्षिण दिशा में मंदिर नहीं रखना चाहिए. इसके अलावा मंदिर में मूर्ति बहुत ज़्यादा ऊंची या टूटी अथवा भगवान का चित्र कटे-फटे अवस्था में नहीं रखना चाहिए.

रसोईघर

वेद, उपनिषद एवं समस्त वास्तु ग्रंथों के अनुसार, रसोईघर को अग्नि कोण में ही बनाना चाहिए । यदि यह भी संभव न हो, तो ईशान कोण को छोड़कर किसी भी कमरे के अग्नि कोण में रसोईघर बना सकते हैं, परंतु क्रमानुसार उसकी शुभता कम होती जाती है. ध्यान रहे, भोजन बनाते समय चेहरा पूर्व में रहे.

शौचालय

शौचालय, स्नानघर आदि उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाएं।

कुछ अन्य बातों का भी रखें ध्यान

किसी भी तरह का इलेक्ट्रॉनिक सामान अथवा गर्मी पैदा करने वाले उपकरण उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं रखने चाहिए। इससे घर-परिवार को अपमान सहना पड़ता है। घर के आसपास हरी दूब उगाई गई हो, तो प्रतिदिन गणेश जी की प्रतिमा पर थोड़ी हरी दूब चढ़ाने से वास्तु दोष दूर होता है। कई बार व्यक्ति अपने व्यवसाय से संबंधित बातें ड्रॉइंगरूम में करते हैं. ऐसे में अपनी दिशा के अनुरूप बैठकर वार्तालाप करें यानी जो दिशा व्यक्ति विशेष के अनुकूल हो, यदि वो वहां बैठें, तो सदैव सफलता हाथ लगती है. यदि घर में तुलसी के पौधा लगाएं और संध्या काल में नित्य उसके सामने घी के दीपक जलाएं, तो समस्त वास्तु दोषों का नाश होता है। इन सब बातों पर गौर कर आप अपनी प्रोफैशनल लाइफ में जो चाहते हैं वो पा सकते हैं।