आदि देव शिव को समर्पित महाशिवरात्रि आत्मिक जागरण का पर्व है। इस सृष्टि की उत्पत्ति के संदर्भ में शिव को सबसे पहला देव माना गया है। ईशान संहिता के अनुसार भगवान शिव सृष्टि के आरम्भ में करोड़ों सूर्यों के प्रकाश के रूप में प्रकट हुए।

शैव मत के अनुसार चन्द्र पक्ष के अनुसार तिथियाँ और काल गणना मानी जाती है। चंद्रमा के दिन सोमवार को भी शिव पूजा विशेष महत्त्व है क्योंकि चन्द्रमा मन का स्वामी है।

कब आती है महा शिवरात्रि ?

ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात को आदि देव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों का तेज अपने अंदर धारण करके लिंगरूप में प्रकट हुए।

इस वर्ष की महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा।यूँ तो साल भर में 12 शिवरात्रियां मनाई जाती है जो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है जिसका विशेष महत्त्व होता है।

ज्योतिष शास्त्र और शिवरात्रि :

पंचांग और ज्योतिष शास्त्र की काल गणना के अनुसार क फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चंद्रमा सूर्य के निकट गति करता है। शिव को चन्द्रमा का स्वामी माना गया है और ‘ चन्द्रमा मनसो जात:’ अर्थात चन्द्रमा मन का स्वामी होता है। इसलिए कुंडली में चंद्रमा के शुभ प्रभाव द्वारा लाभ प्राप्त करने के लिए शिव की पूजा चतुर्दशी महाशिव रात्रि के रूप में विशेष रूप से की जाती है।

पुराणों के अनुसार सृष्टि का आरम्भ इसी दिन हुआ था जो अग्निलिंग ( जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है ) के उदय के साथ प्रारम्भ हुई। दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान शिव और पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था जिसके उपलक्ष में शिवरात्रि मनाई जाती है।

शिवरात्रि स्वयं को जागृत करने का उत्सव है। शिव रात्रि उस समय आती है जब कृष्ण पक्ष होता है और चारों ओर अन्धकार होता है। इस स्थिति में शिव हमें जीवन के नई राह दिखाते हैं, मार्ग प्रशस्त करते हैं।

इस बार क्यों ख़ास है महा शिवरात्रि ?

  • इस दिन शनि व चंद्र मकर राशि में , गुरु धनु राशि, बुध कुंभ राशि तथा शुक्र मीन राशि में रहेंगे। इस प्रकार इस बार महा शिवरात्रि को पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होगी। ऐसा 59 वर्ष बाद जो रहा है
  • महाशिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग भी है। इस योग में शिव पार्वती का पूजन श्रेष्ठ माना गया है।
  • फाल्गुन मास का आरंभ व समापन सोमवार के दिन होगा। माह में पांच सोमवार आएंगे। फाल्गुन मास में वार का यह अनुक्रम कम ही दिखाई देता है। इसके प्रभाव से देश में सुख शांति का वातावरण निर्मित होगा। साथ ही व्यापार व्यवसाय में वृद्धि होगी।
  • 2020 महाशिवरात्रि पर शश योग बनेगा । इस बार महाशिवरात्रि पर चंद्र शनि की मकर में युति के साथ पंच महापुरुषों में शश योग बन रहा है। यह योग साधना की सिद्धि के लिए विशेष महत्व रखता है।
  • ज्योतिष साधना के लिए तीन विशेष रात्रियाँ मानी गई है जिनमे शरद पूर्णिमा महोरात्रि, दीपवाली कालरात्रि, और तीसरी महा शिवरात्रि के रूप में जानी जाती हैं जो सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • 59 वर्ष बाद शनि के मकर राशि में होने और चंद्र का संचार अनुक्रम में और शनि के वर्गोत्तम अवस्था में शश योग का संयोग निर्मित हो रहा है। मन का कारक होने के कारण चंद्रमा को कला तथा ऊर्जा का कारक होने कारण शनि को काल पुरुष का पद प्राप्त है। ऐसी स्थिति में कला तथा काल पुरुष के संयोग और संबंध वाली यह रात्रि सिद्धि दायक रात्रि की श्रेणी में आती है।