शारदीय नवरात्रि का यह है पौराणिक व ज्योतिषीय महत्व

हिन्दू धर्म में एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं जिसमें आश्विन माह के शारदीय नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं। 9 दिनों तक देवी महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इस दौरान नवरात्रि में पूजा का क्या विधि विधान है और किन बातों का ध्यान रखें, जानिये-

देवी के नौ रूप – दुर्गा के नौ स्वरुपों में क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं।

पौराणिक महत्व – शारदीय नवरात्रि पर्व का पौराणिक महत्व का वर्णन है। ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री रामचंद्र जी ने समुद्र तट पर नवरात्र पूजा की थी और इसके बाद ही दसवें दिन लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए रवाना हुए।

पहले दिन घट स्थापना – नवरात्रि में पहले दिन विधिपूर्वक घट स्थापना की जाती है। घट स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।घट स्थापना को घर के लिए सुख- समृद्धि प्रदान करने वाला व शुभ,मंगलकारी माना है।

ज्योतिष में नवरात्रि – ज्योत‌िषशास्त्र में भी नवरात्रि के महत्व का वर्णन किया है। नौ दिनों तक देवी के विभिन्न रूपों की पूजा से नौ ग्रहों की स्थ‌ित‌ि अनुकूल हो जाती है जिससे सकारात्मक परिणाम मिलना शुरू हो जाते हैं। ज्योतिष में यह मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में देवी मां स्‍वयं इस धरती पर आकर नौ दिनों तक निवास करती है और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

कन्या पूजन – नवरात्रि पर्व समापन पर कन्या पूजन किया जाता है। घर पर नौ कन्याओं को आमंत्रित कर आदरपूर्वक खाना खिलाया जाता है और पूजन किया जाता है।इसके बाद दक्षिणा देकर कन्याओं से आशीर्वाद लिया जाता है। इस तरह कन्या पूजन से देवी प्रसन्न होती हैं।

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन – नवरात्रि पर्व समापन के बाद माँ दुर्गा की प्रतिमा को किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करने का नियम है। विधिपूर्वक पूजा के बाद दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय महापर्व नवरात्रि – भारत के पश्चिम बंगाल में शारदीय नवरात्रि पर्व को विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरुप की पूजा अराधना की जाती है।दुर्गा पूजा के दौरान यहां सिंदूर की होली खेली जाती है।परंपरा के अनुसार दशमी के दिन शादी शुदा महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाने के बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इसे सिंदूर खेला भी कहा जाता है।

इस तरह शारदीय नवरात्रि पर्व के पौराणिक व ज्योतिषीय महत्व को जानकर व विधिपूर्वक पूजा से देवी मां की कृपा प्राप्त हो सकती है।

।। आप सभी को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।।