भारतीय वैदिक ज्योतिष (Astrology in Gurgaon) में चन्द्रमा को एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति जातक के जीवन के महत्वपूर्ण विषयों के बारे में बताती है।

चन्द्रमा और जन्म नक्षत्र (Astrology in Gurgaon) :

जन्म के समय व्यक्ति के जिस नक्षत्र में चन्द्रमा स्थित है उसी को जातक का जन्म नक्षत्र माना जाता है। जन्म नक्षत्र के आधार पर ही व्यक्ति का नाम रखा जाता है। जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि में होते हैं तो उसे ही चन्द्र राशि कहा जाता है।

पूर्णिमा का चन्द्रमा अलग ही आनंद प्रदान करता है। चंद्रमा की कलाओं में परिवर्तन के साथ साथ कुंडली के अन्य कारकों को भी प्रभावित करता है।चंद्रमा की कलाएं जिस तरह शीघ्र परिवर्तित होती है उसी तरह मन भी चंचल स्वभाव का होता है। चन्द्रमा को मन कारक कहा गया है। इसके लिए ऋग्वेद में कहा गया है-

“ चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत ”

अर्थात जातक के मन के ऊपर चन्द्रमा का गहरा प्रभाव है। सभी तरह के तरल पदार्थ चंद्रमा का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। पानी के साथ पानी से जुड़े पौधे, मछली, कुएं, तालाब, सागर आदि का भी कारक ग्रह, चंद्रमा है।

जानिए क्या प्रभाव डालता है चन्द्रमा (Astrology in Gurgaon) :

अर्थात श्रेष्ठ लोग जो-जो आचरण करते हैं, जनमानस उसे ही अपना आदर्श मानते हैं। उनके आचरण को देखकर ही अन्य लोग भी अनुसरण करते हैं।

श्रेष्ठ लोग अर्थात वो लोग जो लोगों का नेतृत्व करते हैं उनके आचरण का प्रभाव जनमानस पर पड़ता है, इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम अच्छे आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करें।

शरीर के हिस्से : मन का मुख्य कारक चन्द्रमा होता है। शरीर के विभिन्न द्रव जैसे रक्त, मूत्र , पाचन क्रिया आदि को चन्द्रमा प्रभावित करती है। दृष्टि व आंख भी चंद्रमा के अधिकार में है। पुरुषों की बांयी तथा स्त्रियों की दायीं आंख तथा वक्षस्थल पर चंद्रमा का प्रभाव माना जाता है।

बीमारी : मन से सम्बंधित रोग चंद्रमा के द्वारा ही प्रभावित होते हैं। अजीब व्यवहार, चिड़चिड़ापन, उन्माद की बीमारियां आदि चंद्रमा से देखी जाती हैं। पाचन के रोग, तरल वस्तुओं पर अधिकार जैसे खांसी, जुकाम, ब्राकायटीस, हाइड्रोशील, कफ से जुड़ी बीमारियां, दृष्टि दोष आदि चंद्रमा के द्वारा ही तय किये जाते हैं।

कारोबार : जल से जुड़े कारक भी चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में ही माने जाते हैं इसलिए सिंचाई, जल से जुड़े व्यवसाय चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में ही माने जाते हैं। साथ ही प्रेम और परवरिश सम्बन्धी बातें भी चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में ही आती है। फूल, नर्सरी, एवं रसों से जुड़ें व्यवसाय चन्द्रमा के लिए कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।

उत्पाद : चंद्रमा तेज गति वाला ग्रह है इसलिए जल्दी बढ़ने वाली सब्जियां, रसदार फल, गन्ना, शकरकंद, केसर और मक्का इसके उत्पाद चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। चंद्रमा के अधिकार में रंग भी आते हैं इसलिए निकिल, चांदी, मोती, कपूर, मत्स्य निर्माण, सिल्वर प्लेटेड मोती जैसे वस्तुएं बनाने का कारोबार चंद्रमा से प्रभावित होता है।

स्थान : चन्द्रमा शीतलता का कारक होता है। इसलिए पानी के स्थान कुएं, बावड़ियाँ, गाय-भैसों के रहने के स्थान आदि सब चन्द्रमा के द्वारा प्रभावित माने जाते हैं । इसलिए इन स्थानों से सम्बंधित विश्लेषण के लिए भी चन्द्रमा को ही मुख्य कारक माना जाता है।

जानवर ,पक्षी और वनस्पतियाँ : सफ़ेद चूहे, बिल्ली कुत्ता, बिल्ली, सफेद चूहे, बत्तख, कछुआ, केकड़ा, मछली और छोटे पालतु जानवर चन्द्रमा के द्वारा प्रभावित माने जाते हैं। सोम( चन्द्रमा) को रस का कारक भी माना जाता है इसलिए सभी प्रकार के रसदार फल, गन्ना, फूल आदि एवं जल में पनपने वाली वनस्पतियाँ भी चन्द्रमा की गति से प्रभावित होती है।

चन्द्रमा प्रबल होने पर ये होते हैं प्रभाव : चन्द्रमा तरलता को प्रभावित करता है। मनुष्य के शरीर में स्थित तरल द्रवों को नियंत्रित और संसाधित करने का कार्य चंद्रमा के द्वारा प्रभावित होता है। चंद्रमा के प्रभाव के कारण जातक के शरीर का वजन भी प्रभावित होता है। जिन जातकों में चन्द्रमा का प्रबल प्रभाव होता है उनमे जल तत्व की अधिकता हो जाती है।

शरीर में तरलता की अधिकता के कारण कफ़ तथा शरीर के द्रव्यों से संबंधित रोग या मानसिक परेशानियों से संबंधित रोग होने लगते हैं। निद्रा भी इस तरह चंद्रमा के द्वारा प्रभावित होती है ऐसे जातकों को अधिक निद्रा की समस्या भी हो सकती है।

कमजोर चन्द्रमा होने ये होंगे प्रभाव:

कमजोर चन्द्रमा मन की शांति को प्रभावित करता है। ऐसे जातक मानसिक रूप से अस्थिर होने लगते हैं जिससे मन की सुख-सुविधाओं पर असर पड़ता है। चन्द्रमा वृश्चिक राशि में स्थित होने से बलहीन प्रभाव डालता है या कई बार कुंडली में स्थित किसी विशेष स्थिति या अशुभ ग्रह के प्रभाव में चंद्रमा का प्रभाव विपरीत असर डालता है।

कुंडली में स्थित अशुभ राहु और केतु का प्रबल प्रभाव चन्द्रमा के विपरीत प्रभाव को बढाता है। इससे कुंडली के जातक को मानसिक रोगों की पीड़ा भी हो सकती है। चन्द्रमा पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव जातक को अनिद्रा और बेचैनी जैसी समस्याओं से ग्रसित कर सकता है। इस प्रभाव के कारण जातक को नींद आने में बहुत कठिनाई होती है।

कुंडली में चन्द्रमा की बलहीनता और प्रबलता के विश्लेषण के लिए आप विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।