जीवन सतत कर्मों का प्रतिफल भाग्य के रूप में हमें प्रदान करता है इसलिए अपने कर्मों में होने वाली असावधानी का हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमारे जीवन में आने वाली परेशानियों का सीधा सम्बन्ध पूर्व में किये गए कर्मों के आधार पर ही बनता है।

जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों और उनकी विभिन्न ग्रहों की युति के आधार पर अच्छे और बुरे योग जैसे पितृदोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़े साती, ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव आदि का सम्बन्ध देखा जाता है जो कहीं न कहीं सभी हमारे पूर्वजन्म के कर्मों को ही इंगित करते हैं।

कुंडली में दोष होने पर क्या परेशानियाँ आ सकती हैं ?

उपरोक्त सभी दोष हमारे जीवन में संकट पैदा कर देते हैं। दक्षिणमुखी मकान, वास्तुदोष, गृह कलह, आर्थिक संकट, कोर्ट कचहरी संकट, रोग संकट, वैवाहिक संकट और कर्म दोष ये सभी कुंडली में उपस्थति दोषों के प्रभाव से ही होते हैं और कुंडली में ग्रहों की अशुभ दृष्टि कर्मों के प्रतिफल के रूप में ही बनती है। सीधे शब्दों में कहें तो कुंडली एक रिपोर्ट कार्ड है जो हमारे पूर्व जन्म के अच्छे बुरे कर्म एवं आने वाले भविष्य में उनसे हो सकने वाले प्रतिफल को बताता है।

अशुभ दोष एवं संकट दूर करने के लिए करें ये उपाय:

अब इस बात पर तो ठीक है कि ये सब हमारे कर्मों का प्रतिफल है लेकिन इनमें सुधार कैसे किया जाए। संकट से कैसे बचा जाए ?

इसके लिए सबसे पहले हमें वर्तमान कर्म सुधारने है। मन से दुश्चिंताएं एवं नकारात्मक सोच हटानी है इससे हमारे विचारों की सकारात्मक ऊर्जा पुराने दोषों को कम करती है। किसी को दुःख नहीं देने हैं। इसके साथ-साथ जो समाधान ज्योतिष और हमारे धार्मिक ग्रंथो में बताये गए हैं उनको भी अपनाया जा सकता है।

आगे जानते हैं क्या कर सकते हैं उपाय

  1. 1. हनुमान चालीसा का पठन मनन:

हनुमान जी कलयुग के प्रत्यक्ष देवता माने गए हैं ऐसे में बाबा बजरंग बली की नित्य प्रति आराधना आपको मानसिक संबल प्रदान करती है जिससे सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके लिए प्रतिदिन संध्यावंदन के समय हनुमान चालीसा पढ़ें। हनुमान चालीसा पढ़ने से पितृदोष, मंगलदोष, राहु-केतू दोष आदि सभी कुंडली के दोष निष्प्रभावी होते हैं।

हनुमान जी को आप चोला भी चढ़वा  सकते हैं। कम से कम 5 बार हनुमानजी को चोला चढ़ाएं  आपको शीघ्र ही संकटों से मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा प्रति मंगलवार या शनिवार को बढ़ के पत्ते पर आटे का दीया जलाकर उसे हनुमानजी के मंदिर में रख आएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार या शनिवार को करने से लाभ होगा।

  1. 2. गाय, कुत्ते, चींटी और पक्षियों के लिए भोजन डालें:
  2. वेदों के पंचयज्ञ में से एक ‘वैश्वदेव यज्ञ कर्म’ कहा गया है जो बड़ा पुण्यकर है। प्रतिदिन कौवे या पक्षियों को दाना डालने से पितृ तृप्त होते हैं, चींटियों को दाना डालने से कर्ज और संकट से मुक्ति, कुत्ते को रोटी खिलाने से आकस्मिक संकट, गाय को रोटी खिलाने से आर्थिक संकट दूर होते हैं।

  1. 3. शनिवार को करें ये उपाय: 
  2. एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रख कर आएं। लगातार पांच दिन तक ये उपाय करने से आपकी शनि देव से जुड़ी पीड़ाओं का अंत होगा।

  1. 4. नारियल का उतारा:
  2. एक पानीदार नारियल लेकर इसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारते समय मन में किसी प्रकार की नकारात्मक भावना नहीं होनी चाहिए।  वारने के बाद किसी देवस्थान पर जाकर इसे अग्नि में जला दें। यदि परिवार में किसी व्यक्ति पर कोई संकट है तो उसके साथ भी ऐसा कर सकते हैं। मंगलवार या शनिवार ये उपाय करना अतिलाभकारी होता है। सेहत से जुड़े उपाय के रूप में तो यह बहुत कारगर है।

  1. 5. जल का उपाय:
  2. ताम्रपात्र में जल लेवें और उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें। इस पात्र को अपने सिरहाने रखकर सो जाएं। प्रात: उठकर सबसे पहले उस जल को तुलसी के पौधे में चढ़ा दें। ऐसा 43 दिनों तक निरंतर करें। धीरे-धीरे आपकी परेशानी दूर होती जाएगी। तनाव दूर करने एवं मानसिक रूप से सशक्त बनने के लिए यह उपाय बहुत कारगर है।

ये सभी उपाय हमारे शास्त्रों में बताए अनुसार हैं जिन्हें विधिपूर्वक करने पर संकटों से मुक्ति मिलती है। जैसा कि ऊपर भी हमने चर्चा की है जीवन की परेशानियों का हमारे कर्मों का सम्बन्ध होता है इसलिए बुरे कर्मों से बचें मन भी किसी के लिए द्वेष और बुरी भावनाएं न रखें।

कल्याणमस्तु !!!