जन्म के समय हवन, मुंडन के वक़्त हवन, शादी, गृह-प्रवेश, नामकरण, ग्रह शांति आदि से लेकर चाहे संकट की हो बात या खुशियों का हो साथ सभी का साक्षी है हवन। एक आस्था है कि हवन करने से भगवान प्रसन्न होंगे। लेकिन हवन इंसान की मुक्ति व उसका भाग्य होने के साथ ही उसका स्वास्थ्य भी है। यज्ञ जहां आत्मिक संतुष्टि देता है वहीं प्रदूषण से वातावरण को साफ करने में भी सहायक सिद्ध होता है। कैसे यज्ञ हमारे पर्यावरण और सेहत के लिए महत्वपूर्ण है आईए जानते हैं।

हवन का प्राकृतिक महत्व

  • यज्ञ के माध्यम से इंसान मानसिक आनंद के चरम तक पहुंचता है।
  • मन विकार मुक्त होता है और मस्तिक व शरीर में हार्मोंस का स्राव होता है जो पुराने रोगों का निदान करता है।
  • हवन में प्रयोग किए जाने वाली आम की लकड़ियों को जलाया जाता है तो उनमे से एक लाभकारी गैस उत्पन्न होती है जिससे वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणु समाप्त हो जाते है।
  • हवन में डाली जाने वाली सामग्री जो औषधीय गुणों से भरपूर जड़ीबूटी होती है अग्नि में समाहित होकर हर कोने में फैल कीटनाशकों का विनाश करती है।
  • हवन से निकलने वाला धुआं हवा से फैलने वाली बीमारियों के कारक में से इंफेक्शन करने वाले जीवाणु को नष्ट कर देता है।
  • एक शोध में यह पाया गया है कि यदि आधे घंटे हवन में बैठने और हवन के धुएं का शरीर से सम्पर्क होने पर टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
  • हवन के धुएं के सम्पर्क में रहने से व्यक्ति के मस्तिष्क, फेफड़ें और श्वास संबंधी समस्याएं भी नष्ट हो जाती है। जिसकी मदद से श्वसन तंत्र बेहतर तरीके से कार्य करने लगता है।
  • हवन के धुएं और अग्नि के ताप से थकान और मन की अशांति भी दूर हो जाती है।
कब और कैसे करें हवन

वैसे तो हवन कभी भी कर सकते हैं लेकिन किसी भी मंगल कार्य के बाद हवन अवश्य करना चाहिए। पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध कर हवन कुंड को मध्य में विराजमान करें। कुश लेकर बीच में ब्रह्मा, विष्णु, महेश के नाम से तीन लाइन खींच रक्षा सूत्र बांध दें। तो आपने जाना झूठ, पाप, छल हार, विफलता ईर्ष्या का अंत जहां हवन कुंड में होता है वहीं तनाव, रोग, दुःख आदि भी जलकर भस्म हो जाते हैं।

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