कमोबेश भारत के सभी घरों में तुलसी का पौधा लगा हुआ आपको मिल जाएगा। तुलसी का पौधा भारतीय संस्कृति में अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है और ये सम्पूर्ण भारत वर्ष में पाया जाता है। तुलसी को वृंदा, हरि प्रिया नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम (Scientific name of Tulsi) ऑसीमम सैक्टम है।

तुलसी की सामान्यतः निम्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं (Types of Tulsi):

1. ऑसीमम अमेरिकन (काली तुलसी) गम्भीरा या मामरी

2. ऑसीमम वेसिलिकम (मरुआ तुलसी) मुन्जरिकी या मुरसा

3. ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम

4. आसीमम ग्रेटिसिकम (राम तुलसी / वन तुलसी / अरण्यातुलसी)

5. ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (कर्पूर तुलसी)

6. ऑसीमम सैक्टम

7. ऑसीमम विरिडी

h4>भारत में पूजी जाने वाली तुलसी का नाम क्या है ? भारत में पूजी जाने वाली तुलसी का वैज्ञानिक नाम ऑसीमम सैक्टम है इसे ही पवित्र तुलसी माना गया जाता है और तुलसी के फायदे असीम है। तुलसी दो प्रकार की होती है हरी पत्तियों वाली तथा काली तुलसी जिसकी पत्तियां बैंगनी रंग लिए होती है। कई विद्वानों का कहना है की तुलसी कि दोनों ही गुणों में समान हैं किंतु फिर भी काली तुलसी जिसे श्यामा तुलसी भी माना गया है, को श्रेष्ठ माना गया है।

तुलसी का वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदिक महत्व

भारत में ये पौधा प्रत्येक घर में पाया जाता है और इसको अत्यंत पवित्र माना जाता है। अनेक पूजा कार्यों में,आयुर्वेदिक दवाइयों में, यूनानी दवाइयों में तुलसी के पौधे की पत्तियों,जड़, मंजरी का प्रयोग किया जाता है तथा इसके लकड़ी की माला बनाकर गले में भी धारण की जाती है।

तुलसी के पौधे में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, इम्युनिटी सिस्टम को मज़बूत करने की क्षमता, एंटी बायोटिक जैसे गुण विद्यमान होते हैं। तुलसी का पादप लगाने से घर का वातावरण भी अत्यंत शुद्ध रहता है और यह संक्रामक रोगों से लड़ने की भी अत्यंत सहायक होता है.

तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व

ऐसा माना जाता है की तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है इस कारण इसकी पूजा अर्चना की जाती है । तुलसी के पौधे की महिमा श्रीमद्भागवत महापुराण, स्कन्द पुराण , पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि पुरानों में बताई गई है। प्रत्येक पूजा अनुष्ठानों में तुलसी के पौधे का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण एवं हनुमान जी को तुलसी का भोग लगाया जाता है। प्रतिदिन सुबह शाम इसकी आरती की जाती है एवं जल चढ़ाया जाता है

हिन्दू धर्म में मृत्यु के समय व्यक्ति के मुह में गंगाजल के साथ तुलसी देने पर वह व्यक्ति स्वर्ग को प्राप्त होता है इसका वैज्ञानिक कारण ये भी है की अंत समय में व्यक्ति को कफ़ के कारण सांस लेने तथा बोलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है एवं तुलसी कफ़ नाशक होती ही है इसलिए इसको देने से व्यक्ति की परेशानी कम हो जाती है।

कार्तिक मास में इस पौधे का अत्यंत विशेष महत्व रहता है तथा इस पौधे को गुरूवार को सुबह के समय लगाना अत्यंत लाभकारी रहता है।

तुलसी के पौधे के विशेष धार्मिक महत्व के पीछे इसकी आयुर्वेद और विज्ञान में बताई गई प्रभावी औषधीय क्षमता है। चिकित्सीय दवाओं में इम्युनिटी बूस्टर के रूप में इसे विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।