सावन मास, जब मन आनंद की हिलोरें लेता हुआ रहता है। हरियाली अमावस्या का यह पर्व प्रकृति के प्रति हमारे समन्वय को दर्शाता है। विशेष तौर पर उत्तर-पश्चिम एवं मध्य भारत में मनाया जाने वाला यह पर्व उल्लास और उमंग का प्रतीक है। इस वर्ष हरियाली अमावस्या 20 जुलाई 2020 को है एवं उसके बाद आने वाली तीज को यानि 23जुलाई 2020 को हरियाली तीज मनाई जाती है।

कब मनाई जाती है हरियाली अमावस्या ( Hariyali Amavasya 2020) ?

यहाँ श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के तौर पर मनाया जाता है । हरियाली अमावस्या, प्रसिद्ध हरियाली तीज से तीन दिवस पूर्व आती है। इस दिन अनेकों स्थानों पर मेलों,उत्सवों ईवा, कई प्रकार के आयोजन किए जाते है। इन उत्सवों में सभी लोग जाति समुदाय से ऊपर उठाकर सम्पूर्ण मनोयोग से उल्लासित होकर आनंद के इस पर्व को मानते हैं।

हरियाली अमावस्या 2020 का दिन एवं मुहूर्त

हरियाली अमावस्या सोमवार, जुलाई 20, 2020 को

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – जुलाई 20, 2020 को 12:10 ए एम बजे

अमावस्या तिथि समाप्त – जुलाई 20, 2020 को 11:02 पी एम बजे

उत्तर भारत में हरियाली अमावस्या श्रावण मास के दौरान आती है लेकिन आन्ध्र प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात तथा तमिलनाडु आदि राज्यों में अमान्त चन्द्र कैलेण्डर ( चंद्रमा की गति के आधार पर) का अनुसरण किया जाने के कारण इसे आषाढ़ अमावस्या के रूप में माना जाता है ।

खरीफ़ फ़सल ही बुवाई की शुरुआत हरियाली अमावस्या से होती है –

एक तौर पर यह खरीफ की फसलों की बुवाई का समय होता है अतः लोग संकेतिक बुवाई के रूप में थोड़े थोड़े गेहूं ,चना,ज्वर,मक्का आदि उगा कर देखते हैं एवं अपनी फसल के उत्पादन का अनुमान लगाते हैं । हरियाली अमावस्या के मनाये जाने वाले उत्सवों में गेहूं की धानी का प्रसाद गुड के साथ दिया जाता है ।

हरियाली अमावस्या पूजा अर्चना (Hariyali Amavasya 2020 Pooja) –

श्रावण का महीना शिव की उपासना का महिना माना जाता अहि इसलिए हरियाली अमवास्या के दिन शिव जी की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है । मध्यप्रदेश में मालवा व निमाड़, राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम, गुजरात के पूर्वोत्तर क्षेत्रों, उत्तरप्रदेश के दक्षिण-पश्चिमी इलाकों तथा साथ ही हरियाणा व पंजाब में हरियाली अमावस्या को पर्व के रूप में मनाया जाता है।

हरियाली अमावस्या पर इन मंदिरों में होते हैं विशेष आयोजन –

इस पर्व के मौके पर भारत के विभिन्न मंदिरों में विशेष झांकियों का आयोजन किया जाता है। इन मंदिरों में मथुरा के बांके बिहारी एवं कृष्ण मंदिर तथा द्वारिका का द्वारिकाधीश मंदिर प्रमुख है जिनके दर्शोने के लिए श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। हरियाली अमावस्या पर वृन्दावन के बांके बिहारी जी के मंदिर में विशेष विश्व प्रसिद्ध बंगला झांकी सजाई जाती है एवं अनेक शिब मंदिरों में भी विशेष झांकियों, भजन, कीर्तन, पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है।

पेड़ पौधों की पूजा , नदियों की पूजा हमारे पर्यावरण से एक अभिन्न नाते को दर्शाते हैं। हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, नाग पंचमी ऐसे अनगिनत पर्व हैं जो प्रकृति को सम्मान देने के लिए मनाये जाते हैं। आज पूरा विश्व पर्यावरण संरक्षण की बात कर रहा है जबकि हम सदियों से ऐसा करते आ रहे हैं। आज के इस दौर में ऐसे त्योहारों का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है।