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1852 Views 2019-12-31 13:13:39

क्या आपके जीवन में भी हैं विदेश यात्रा के योग ? क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

सतत प्रगति और उन्नति का नाम ही जीवन है। जीवन कर्मक्षेत्र है जो आपको अलग अलग स्थानों पर लेकर जाता है। ये यात्राएँ सीमित क्षेत्र तक या दूरस्थ भी हो सकती है। प्राचीन काल में लोग अपने ज्ञान और स्वाध्याय के लिए देशाटन किया करते थे। इसीलिए कहा जाता है-

यस्तु संचरेत देशान, यस्तु सेवेत पंडितान। तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भ्सी । । अर्थात जो व्यक्ति भिन्न देशों की यात्रा करता है और विद्वानों से सम्बन्ध रखता है उसकी बुद्धि उसी तरह बढ़ जाती है जैसे पानी पर एक तेल की बूँद फैलती है।

ज्योतिष विज्ञान (Career Astrologer in Gurgaon) के अनुसार जन्मकुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति आपके विदेश यात्रा की सम्भावना के बारे में बताती है। जातक की जन्म कुंडली के अष्टम भाव, नवम, सप्तम, बारहवां भाव विदेश यात्रा के संभावना का निर्माण करते हैं। कुंडली की इन स्थितियों से ये पता लगाया जा सकता है आपका विदेश जाने की सम्भावना जीवन में बनेगी या नहीं।

क्या बताते हैं कुंडली ये भाव ?

जन्म कुंडली का तृतीय भाव यात्राओं को सूचित करता है। कुंडली में अष्टम भाव को समुद्री यात्रा के प्रतीक के रूप में माना जाता है। सातवें और नवम भाव का विश्लेषण दूरस्थ विदेश यात्राओं या उन देशों में व्यापर और लम्बे प्रवास के बारे में सम्भावना को बतलाते हैं। जातक के विदेश में व्यापर व नौकरी की सम्भावना (Career Astrologer in Gurgaon) के विश्लेषण के लिए इन भावों का अध्ययन कर विश्लेषण किया जाता है।

लग्न भाव और विदेश यात्रा:

  • यदि मेष लग्न के लग्नेश तथा सप्तमेश किसी भी भाव में एक साथ स्थित हों या उनमें परस्पर दृष्टि संबंध हो तो भी विदेश यात्रा की सम्भावना होती है।
  • मेष लग्न के अष्टम भाव में शनि की उपस्थिति हो तथा द्वादशेश बलवान हो तो जातक विदेश यात्राएँ करता है।
  • निश्चित विदेश यात्रा के रूप में यदि, मेष लग्न, लग्नेश तथा भाग्येश अपने-अपने स्थानों में हों या उनमें स्थान परिवर्तन योग दिख रहा है तो विदेश यात्रा की प्रबलतम सम्भावना है।
  • मेष लग्न के अष्टम भाव में शनि जातक को बार-बार विदेश यात्राएँ करवाता है।

विवाह के बाद विदेश यात्रा के योग :

विवाह के बाद विदेश यात्रा के योग में यदि जातक की कुंडली के सप्तम भाव और बाहरवें भाव में सम्बन्ध हो या इनके स्वामियों में भी आपस में सम्बन्ध हो तो भी विवाह के पश्चात जातक के विदेश यात्रा के योग होते हैं। इसमें उसका विदेशी मूल के व्यक्ति से शादी करने का कारण भी छुपा हो सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार यदि व्यक्ति किसी विदेशी मूल के व्यक्ति से शादी कर लेता है तो भी उसे विदेश यात्रा के रूप में माना जाता है।

पढाई के लिए विदेश यात्रा (Career Astrologer in Gurgaon):

पढाई के लिए विदेश जाने के लिए जातक की कुंडली में यदि पंचम और बाहरवें या उनके स्वामियों में भी सम्बन्ध हो तो जातक के पढाई के लिए विदेश जाने के योग होते हैं। हालांकि इसका समय निर्धारण नहीं किया जा सकता है कि कितने समय के लिए विदेश यात्रा होगी।

व्यापार या नौकरी के लिए विदेश यात्रा (Career Astrologer in Gurgaon) :

अगर जातक की कुंडली में दसवें और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों में भी आपस में सम्बन्ध हों तो जातक के विदेश में व्यापर और नौकरी के योग बन जाते हैं।

जन्मकुंडली के विभिन्न ग्रह भावों के अध्ययन और उनके शुभ अशुभ दोष का विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा किया जा सकता है । इस विश्लेषण से आपके अशुभ ग्रहों का दोष दूर करके जीवन में प्रगति की संभावनाओं को बढाया जा सकता है ।

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