जानिये,गंगा दशहरा पर्व का महत्व और मनाने का कारण

हिन्दू धर्म में गंगा दशहरा एक प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है और साल 2019 में यह 12 जून मंगलवार को मनाया जाएगा। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन गंगा नदी धरती पर आई थी इसलिए इस त्यौहार को गंगा दशहरा कहा गया है।

जानिये, गंगा दशहरे का क्यों महत्व है और किस प्रकार इस पर्व को मनाकर जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जाए।

गंगा दशहरे की महिमा — पौराणिक मान्यता अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को भगीरथी की तपस्या के बाद गंगा नदी धरती पर आई थी तभी से इस दिन को गंगा दशहरा नाम दिया गया और देवी गंगा नदी की पूजा शुरू हुई। इस खास दिन गंगा नदी तट पर जाकर पूजा,ध्यान व स्नान करने का विशेष पुण्य मिलता है।

गंगा स्नान का महत्व — गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए और वहां जाना संभव नहीं हो पाए तो आसपास किसी पवित्र नदी या तालाब में जाकर देवी गंगा का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए।

इस मंत्र का करें जाप —

“ऊँ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:”

गंगा दशहरा के दिन इस मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व माना है।मंत्र जाप के बाद विधिवत पूजन करते हुए गंगा का ध्यान करना चाहिए।

इस तरह करें पूजा — गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी या किसी पवित्र नदी व सरोवर में स्नान करने से पहले पूजा में 10 प्रकार के फूल, 10 दीपक, 10 प्रकार के नैवेद्य, 10 फल उपयोग में लेने का महत्व होता है। इसके बाद 10 ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए। 10 प्रकार के पापों से मुक्ति के लिए नदी में 10 गोते भी लगाने चाहिए।

मान्यता है कि गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने पर इंसान के दस प्रकार के पापों का नाश हो जाता है जिनमें तीन पाप कायिक, चार पाप वाचिक व तीन पाप मानसिक होते हैं जिनसे व्यक्ति को ​मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत करने व गंगा कथा सुनने पर भी विशेष पुण्य लाभ मिलता है।

पौराणिक कथा — इस पर्व से एक पौराणिक कथा जुडी हुई है जिससे गंगा दशहरा के महत्व का पता चलता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने और गंगा को धरती पर लाने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी।

तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गंगाजी को अपनी जटाओं में रोककर एक जटा पृथ्वी की ओर छोड दी थी। इस तरह गंगा के धरती पर आने और पानी से भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाई।