लगभग सभी घरों में देवी-देवताओं की पूजा जरुर की जाती है। देवताओं के पूजन से हमारी मनोकामना पूरी होती है। पूजा करना देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का और उनकी कृपा पाने का एक आसान तरीका होता है। पूजा करते समय पूरे विधि-विधान का ध्यान रखना जरुरी होता है। अन्यथा पूजा का शुफ फल नहीं मिल पाता है। पूरी प्रक्रिया और श्रद्धा के साथ की गई पूजा शुभ-फलदायी होती है। धार्मिक मान्यताओं में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा के अलग-अलग तरह के विधि-विधान से करने प्रावधान का उल्लेख है। शास्त्रों में देवताओं की पूजा से संबंधित कई ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान हमें पूजा करते समय रखना चाहिए। तो आईए जानते हैं अपने अराध्य की पूजा करते समय किन बातों पर गौर कर मनवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं।

  • एक घर में पांच देवी-देवताओं का पूजन होना चाहिए जिनमें भगवान गणेश, शिव विष्णु, सूर्य और दुर्गा जिन्हें पंच देव कहते हैं।
  • किसी भी देव या देवी के पूजन के प्रति संकल्प, एकाग्रता, श्रद्धा होना बहुत जरुरी है।
  • मां देवी दुर्गा की एक, सूर्य देवता की सात, गणेश जी की तीन, विष्णु जी की चार और महादेव की आधी ही परिक्रमा करने का विधान है।
  • सभी देव-देवताओं को अनामिका अंगुली से ही तिलक करना चाहिए।
  • तुलसी के बिना ईश्वर की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती, तुलसी की मंजरी सब फूलों से बढ़कर मानी गई है।
  • तुलसी के पत्तों को कभी भी बासी नहीं माना जाता, इन्हें जल से धोकर पुनः भगवान को अर्पित किया जा सकता है। लेकिन मंगल, शुक्र, रवि, अमावस्या, पूर्णिमा, द्वादशी और रात्री में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
  • फूल चढ़ाते समय ध्यान रखें की उसका मुख ऊपर की ओर हो, सदैव दाएं हाथ की अनामिका और अंगूठे की सहायता से पुष्प अर्पित करना चाहिए।
  • फूलों की कलियां देवी-देवताओं पर चढ़ाना मना है लेकिन यहव नियम कमल के पुष्प पर लागू नहीं होते।
  • देवताओं की पूजा के लिए जलाए गए दीपक को कभी नहीं बुझाना चाहिए। उसके स्वयं ही बुझने का इंतजार करना चाहिए।
  • घर के पूजास्थल या मंदिर में रखे सूखे फूल, पत्तियां, हार आदि हटा लेने चाहिए।

देवी-देवताओं की पूजा करते वक्त इन बातों को ध्यान में रखें तो ईश्वर का आशीर्वाद जरुर मिलता है और घर में अखंड धन-संपत्ति की प्राप्ति भी होती है।

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