Browse:
2519 Views 2018-03-20 11:09:11

अक्षय तृतीया पर करें यह काम, मिलेगा हर तरह के संकट से आराम

हर वर्ष वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि में सूर्य और चंद्रमा अपने उच्च प्रभाव में होते हैं और उनका तेज़ सर्वोच्च होता है। जिसे हिन्दू पंचांग में शुभ माना जाता है। इसी तिथि से त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इसे स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है। क्षय का मतलब नष्ट होने वाला और जब प्रत्यय के रूप में ‘अ’ इसके साथ में लग जाता है तो अर्थ बनता है अक्षय यानि कभी नष्ट ना होने वाला। अर्थात इस तिथि के दिन चाहे आप अच्छा कर्म करे या बुरा कर्म करें। जो भी इस तिथि के दिन करेंगे वो कभी नाश नहीं होगा। इसलिए इसे अक्षय तृतीया(Akshaya tritiya 2020) कहा जाता है। इस दिन पिंड दान व दान को विशेष माना जाता है तथा सोना-चांदी खरीदा जाता है। इस तिथि को ही विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम की जन्म तिथि होती है। तो आईए जानते हैं इसके महत्व और क्या है इसबार का शुभ मुहूर्त व तारीख।

अक्षय तृतीया 2020 – शुभ मुहूर्त व तारीख

26 अप्रैल 2020

(रविवार)

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त

05:53 एम से 12:25 पीएम

कुल अवधि

6 घंटा 32 मिनट

अक्षय तृतीया 2020 – व्रत एवं पूजन विधि

  • इस दिन भक्त भगवान विष्णु की अराधना में लीन रहते हैं।
  • स्त्रियां अपने परिवार के समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए।
  • शांत चित से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धूप, अगरबत्ती एवं चंदन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए।
  • नैवेध के रूप में जौ, गेहूं या सत्तू, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें।
  • इसी दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • साथ ही फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, भूमि, जल से भरे घड़े, चावल, घी आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

क्या है अक्षय तृतीया की पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव वनवास में थे तब एक दिन श्री कृष्ण ने उन्हें एक अक्षय पात्र उपाहार में दिया था। यह एक ऐसा पात्र था जो कभी भी खाली नहीं होता था और जिसके सहारे पांडवों को कभी भोजन की चिंता नहीं होती थी। एक और कथा अनुसार श्री कृष्ण के बालपन के मित्र सुदामा से अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगने गए थे और फिर कृष्ण ने बिना बताए सुदामा के परिवार की भरपूर सहायता की थी से भी जोड़ कर देखते हैं।

यह थे अक्षय तृतीया के महत्व, कथा व पूजन विधि जिसे अपनाकर आप भी करें श्री हरि व मां लक्ष्मी को प्रसन्न।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*