भगवान शिव इस सृष्टि के आदि देव माने गए है। देवाधिदेव शिव का एक नाम आशुतोष भी है जिसका अर्थ है शीघ्र प्रसन्न होने वाले। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों मनोकामना बहुत आसानी से पूरी कर देते हैं। अगर सम्पूर्ण मन से केवल जलाभिषेक मात्र भी किया जाए तो भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अलावा भगवान शंकर की पूजा और अभिषेक के लिए रूद्रष्टाध्यायी में आठ अध्यायों में विभिन्न मन्त्रों का वर्णन किया गया है।

क्या है रूद्री पाठ (Rudri Paath) या रूद्र अष्टाध्यायी ?

भगवान शंकर का ही एक रूप रूद्र है जो प्रचंड रूप कहा जाता है। इसी रुद्र (शिव) के उपासना के निमित्त रुद्राष्टाध्यायी ग्रंथ वेद का ही सारभूत संग्रह है जिसमें गृहस्थधर्म, राज धर्म, ज्ञान-वैराज्ञ, शांति, ईश्वरस्तुति आदि अनेक सर्वोत्तम विषयों का वर्णन है।

रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है। श्रावण मास या शिवरात्रि के दिन यदि रुद्राभिषेक किया जाये तो इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक अर्थात स्नान करवाना।

ज्योतिष शास्त्र में भी ग्रह आदि के दोषों से बचने के लिए रुद्राभिषेक के उपाय किये जाते हैं। स्वास्थ्य संबंधित दोषों और रोगों से भी छुटकारे के लिए भी भगवान शिव का मनोयोग के साथ रूद्राभिषेक महाफलदाई है।

रुद्राभिषेक से होने वाले चमत्कारिक लाभ:

विशेष प्रकार की मनोकामना एवं उद्देश्य पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक अलग अलग द्रव्यों से किया जाना चाहिए। शिव पुराण में इन सभी बातों का उल्लेख किया गया है। आइये जानते हैं इनके बारे में-

● वर्षा की कामना के लिए शिवलिंग का जल से रुद्राभिषेक किया जाना चाहिए।

● स्वास्थ्य लाभ एवं दुखों के निवारण के लिए कुशा जल से अभिषेक करना चाहिए। जल में इत्र मिलाकर भी जलाभिषेक कर सकते हैं। यह भी दुखों के निवारण के लिए उपयोगी है।

● मकान, वाहन या पशु आदि की मनोकामना पूर्ति के लिए दही से अभिषेक करें।

● धन प्राप्ति एवं क़र्ज़ मुक्ति के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें। धन वृद्धि के लिए रुद्राभिषेक में शहद का उपयोग किया जाना जाना चाहिए। शहद से अभिषेक करने से पापों से भी मुक्ति मिलती है।

● मोक्ष की कमाना के लिए तीर्थ स्थान से लाये गये जल से रूद्राभिषेक करना चाहिए।

● संतान प्राप्ति, रोग शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए गाय के दूध से अभिषेक करें।

● गंगाजल अगर अभिषेक में उपयोग किया जाए तो विशेष लाभ होता है। गंगाजल से अभिषेक करने से ज्वर की परेशानी में लाभ होता है।

● बुद्धि वृद्धि के लिए दूध में शर्करा मिलकर शिव अभिषेक करें। बच्चों से भी अभिषेक कराएँ उनका ज्ञान वर्धन होगा।

● वंश वृद्धि के लये घी से अभिषेक करना चाहिए एवं शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल का उपयोग किया जाना

विशेष: अगर शिवलिंग न हो या आप ऐसे स्थान पर हों जहाँ आस पास शिव मंदिर ही न हो तो ऐसी स्थिति में हाथ के अँगूठे को भी शिवलिंग मानकर अभिषेक किया जा सकता है।

रुद्राभिषेक का विशेष महत्व

जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोष स्वरूप भगवान शिव का विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से भगवान शिव अभिषेक स्वयं करता है या योग्य विद्वान से करवाये तो उसे शीघ्र ही मनोवांछित फल प्रदान होता है। भोलेनाथ भगवान शिव का नाम इसलिए है ही क्योंकि उनकी उपासना सबसे सरल है और आसानी से प्रसन्न भी हो जाते हैं लेकिन रुद्राभिषेक उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है। शास्त्रानुसार अगर आपका कोई कार्य नहीं बन पा रहा है तो रुद्राभिषेक एवं शिव जी की आराधना से मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो सकती है।

● ग्रह आदि दोषों के निवारण के लिए रूद्राभिषेक एवं रूद्री पाठ किया जाता है।

● बैसाख, श्रावण, महाशिवरात्रि एवं मासिक शिवरात्रि पर विशेष रूप से शिव अभिषेक किया जाना शुभ होता है।

● किसी भी प्रकार की व्याधि एवं कष्टों आदि के निवारण के लिए रुद्राभिषेक सबसे उत्तम उपाय है।

रुद्राभिषेक क्यों योग्य विद्वान से परामर्श के बाद ही करवाना चाहिए ? रूद्राभिषेक कब करवाना चाहिए ?

प्रत्येक कार्य को करने से पहले विशेष समय और मुहूर्त की जाँच पड़ताल कर लेना जरुरी है। एक विशेष बात यह है कि रूद्रभिषेक करने से पहले शिव जी का निवास देखना जरूरी है। मनोकामना पूर्ती के लिए किये जाने वाले रूद्राभिषेक में तो निवास देखना बहुत जरुरी है।

कुंडली विश्लेषण के द्वारा भी कई सारी परेशानियों के लिए रूद्राभिषेक का महत्व बताया गया है। काल सर्प दोष आदि के निवारण में भी भगवान शिव से जुड़े उपाय किये जाते हैं। कई बार हमारे जीवन में कई ऐसी परेशानियाँ चल रही होती हैं जिनके बारे में हमें कोई उपाय नहीं सूझता ऐसे में कुंडली विश्लेषण के बाद योग्य विद्वानों के द्वारा रुद्राभिषेक करवाना चाहिए।

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