घर के सदस्यों पर उसके वास्तु का पूरा पूरा प्रभाव पड़ता है। वास्तु विज्ञान प्रकृति में उपस्थित पंच तत्वों के संतुलन का विज्ञान है। पंच तत्वों की अशुद्धि ही वास्तु दोष उत्पन्न करती है जो नकारात्मक असर डालती है। वास्तु अनुसार जो सभी दिशाएँ है वो एक विशेष ऊर्जा प्रभाव का संचालन करती है। इसलिए घर में अलग अलग चीज़ों जैसे रसोई घर, पानी का स्थान, शौचालाय इत्यादि का स्थान नियत होता है।

वास्तु के अनुसार घर में मंदिर

घर का मंदिर एक ऐसा स्थान होता है जो पूरे घर में ऊर्जा प्रवाहित करता है। यहाँ की शुभ ऊर्जा घर के वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है। इसके लिए वास्तु अनुसार ही इसकी दिशा होनी चाहिए। जीवन में कोई परेशानी होने पर हम घर के मंदिर में बैठ कर ही प्रार्थना, पूजा पाठ करते हैं, जानिए वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए घर के मंदिर का वास्तु|

जानिए वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए घर के मंदिर का वास्तु:

● ईशान कोण में मंदिर- वास्तु शास्त्र अनुसार घर का मंदिर स्थापित करने का सबसे शुभ स्थान होता है ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) माना गया है।

● मंदिर को ज़मीन पर ना बनाएं। हो सके तो मंदिर इतनी ऊंचाई पर हो कि आपकी छाती और भगवान के पैर एक ही ऊंचाई पर हों।

● पूजा कक्ष की दीवारों का रंग पीला, हरा या फिर हल्का गुलाबी रखें।

● मंदिर संगमरमर या लकड़ी के फ्रेम का बनवाएं। वास्तु के अनुसार इनको शुभ माना गया है।

● मंदिर में दीपक दक्षिण-पूर्व अर्थात आग्नेय कोण में जलाना चाहिए। ये धन-दौलत, खुशी और पॉज़िटिव एनर्जी को आपके जीवन में लाता है। मंदिर पर पर्दा अवश्य होना चाहिए। बेडरूम अगर मंदिर हो तो पूजा के बाद इसे ढक देना चाहिए।

● स्नान गृह और मंदिर दीवार कभी भी अटेच नहीं होनी चाहिए।

● अगर मंदिर दूसरे फ्लोर पर है तो नीचे टायलेट या रसोई घर नहीं होना चाहिए।

● मंदिर में पूर्वजों और मृतक लोगों के तस्वीरें नहीं रखनी चाहिये। इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है। अगर रखना ही हो तो तस्वीर को भगवानों की तस्वीर से नीचे रखें।

● मंदिर को हमेशा साफ़ रखें। कभी भी धूल, अगरबत्ती, धूपबत्ती के जले हुए अवशेष मंदिर में नहीं होने चाहिए।

मंदिर का वास्तु पूरे घर के वास्तु को प्रभावित करता है क्योंकि पूजा- प्रार्थना के बाद निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा घर के वातावरण को शुद्ध कर देती है। लेकिन मंदिर में ही वास्तु दोष हो तो घर की ऊर्जा भी नकारात्मक रूप में प्रभावित होती है। इसलिए इन उपायों के साथ साथ वास्तु विशेषज्ञों से घर के वास्तु के बारे में परामर्श भी कर लेना चाहिए।