हमारे देश की समृद्ध उत्सव परंपरा हमें प्रकृति पूजन एवं पर्यावरण संरक्षण सिखाती है. इसीलिए हर मौसम में उस समय के अनुसार त्यौहार और उत्सव मनाए जाते हैं. भारत के बारे में तो कहा भी जाता है सात वार और नौ त्यौहार. हमारी उत्सव परम्परा हमें मानसिक रूप से भी खुशहाल बनाती है. ऐसा ही एक त्यौहार है श्रावणी तीज या हरियाली तीज (sravani teej/hariyali teej)| इस वर्ष हरयाली तीज का व्रत 23 जुलाई 2020 को आ रहा है|

आइये जानते हैं हरियाली तीज के बारे में विशेष बातें –

सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आने वाला यह त्यौहार हरियाली तीज नाम से जाना जाता है. सावन में जब चारों ओर हरियाली छा जाती है और मन उल्लास पूर्ण हो जाता है ऐसे में त्योहारों की रौनक ही अलग हो जाती है. विशेष रूप से महिलाएं एवं कन्याएं इस पर्व को धूमधाम से मनाती है. पूरा सावन भगवान शिव की आराधना का महीना होता है एवं तीज के दिन महिलाओं गीत गाती हुई झूला झूलती है. सावन में झूला झूलने के पीछे महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा कारण है. माना जाता है इस समय झूला झूलने से मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है.

हरियाली तीज मुहूर्त एवं तिथि (Hariyali Teej Pooja and Muhurat)

23 जुलाई 2020

तृतीया तिथि – गुरुवार, 23 जुलाई 2020

तृतीया तिथि प्रारंभ – 19:21 बजे (22 जुलाई 2020 ) से

तृतीया तिथि समाप्त – 17:02 बजे (23 जुलाई 2020 ) तक

हरियाली तीज व्रत (Hariyali Teej Vrat 2020) :

इस दिन स्त्रियाँ तथा कन्याएं मंगल गीत गाती हुई प्रसन्नचित मन से विधि विधान के साथ शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। नव विवाहित एवं सभी स्त्रियाँ,कन्याएं अपनी सखियों के साथ झूले झूलती हैं एवं इस खुशनुमा माह में इस पर्व के मस्ती में झूम उठती हैं।

इस तरह करें हरियाली तीज व्रत –

इस दिन व्रत करने के लिए प्रातः जल्दी उठकर स्नान ध्यान आदि से निवृत होकर साफ़ वस्त्र पहनने चाहिए तथा माता पार्वती, भगवान शिव एवं गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा बना लेवें।

इस व्रत को करने के लिए आप इस मंत्र से संकल्प कर सकते हैं –

‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’

इस मंत्र से संकल्प करने के पश्चात स्त्री को सभी सुहाग के सामान जैसे मेहंदी,सिन्दूर आदि माता पार्वती को अर्पित करने चाहिए तथा भगवान शिव को दूध दही आदि से स्नान करवा कर बिल्व पत्र चढाने चाहिए और इसके पश्चात हरियाली तीज की व्रत कथा सुनने से यह व्रत का विधान सम्पूर्ण होता है।

इससे पहले आने वाली हरियाली अमावस्या भी प्रकृति और पर्यावरण प्रेम का उत्सव है. हरियाली तीज का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें प्रकृति के साथ हमारे जुड़ाव एवं सम्मान को जताया जाता है. आज के समय में इस तरह के त्यौहार और भी प्रासंगिक एवं जरूरी हो जाते हैं.