बसन्त पंचमी से ऋतु बसंत का आरम्भ होता है जो विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का दिवस माना जाता है. विद्यार्थी वर्ग और कला जगत से जुड़े हर व्यक्ति को विशेष रूप से इस दिन सरस्वती पूजा अवश्य करनी चाहिए. साथ ही जिन लोगों को अपने करियर में सफलताएँ हासिल करनी है या कोई अड़चन आ रही है तब भी सरस्वती आराधना से परेशानियों का निवारण संभव होता है. ज्ञान हर क्षेत्र का एक आवश्यक पहलु है जो तरक्की में सर्वाधिक रूप से सहायक है. इसलिए कला और शिक्षा वर्ग के अलावा अन्य लोगों को भी सरस्वती पूजा अवश्य करनी चाहिए.

सरस्वती पूजा से मिलती है सफलता :

प्रतिवर्ष माघ मास की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है जो इस बार 29 जनवरी को मनाई जाएगी. विद्या की देवी सरस्वती की आराधना भी इसी दिन की जाती है.

शुभ मुहूर्त और मन से की गई पूजा कभी विफल नहीं जाती. इसलिए बसंत पंचमी को मन से की गई आराधना कभी विफल नहीं जाती.

सरस्वती पूजा से घर के वास्तु में शुभ ऊर्जा का प्रवाह होता है जो नकारात्मकता का अंत करती है . कई बार हमारे साथ ऐसा होता है जब मेहनत के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलते जिसके पीछे घर या निवास स्थान का वास्तुदोष हो सकता है.

वास्तु शास्त्र, विज्ञान एक ऐसी शाखा है, जो हमारे आसपास की ऊर्जा को अशुभ दोषों से मुक्त करता है और पञ्च तत्वों का संतुलन करता है.

माता सरस्वती से जुड़ी इन वस्तुओं को रखें घर में :

इससे नकारात्मकता का वातावरण समाप्त होता है और सकारात्मक वातवरण का निर्माण होता है ।

देवी सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर :

घर में सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर अवश्य स्थापित करें. अध्ययन कक्ष में विशेष रूप से माता सरस्वती का स्थान निर्धारित करें. ज्ञान की देवी सरस्वती को माना जाता है इसलिए सभी कार्यों में सफलता के लिए भी सरस्वती आराधना आवश्यक है.

वीणा :

वीणा का मधुर संगीत घर के वातावरण को शुभ बना देता है. घर में वीणा रखने से घर की रचनात्मक वातावरण का निर्माण होता है.

हंस की तस्वीर :

माता सरस्वती के वाहन के रूप में हंस माना जाता है. श्वेत वर्ण का होने के कारण इसे शुभ संकल्पों का प्रतीक भी माना जाता है. घर में हंस की तस्वीर रखने से मन को शांति मिलती है और प्रगति की राह भी आसान होती है. एकाग्रता बढ़ती है और मन भी प्रसन्न होता है.

मोर पंख :

मोर पंख को मंदिर में स्थान देने से नवग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है. देवी सरस्वती की पूजा में भी मोर पंख का बड़ा महत्व है. प्राचीन ग्रंथो की पांडुलिपियाँ जब लिखी जाती थी तो लेखनी (कलम) के रूप में मोरपंख का उपयोग किया जाता था. घर के मंदिर में मोर पंख रखने से नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है.

कमल पुष्प:

कमल पवित्रता का प्रतीक है जो गंदे कीचड़ में भी अपनी शुद्धता को बनाये रखता है. लक्ष्मी पूजन और सरस्वती पूजन दोनों में ही कमल पुष्प की महत्ता है. अगर संभव हो तो प्रतिदिन ताजा कमल के फूल पूजन में उपयोग करें. इससे ज्ञान, सफलता के साथ-साथ धन वृद्धि भी होती है.