हस्तरेखा शास्त्र विज्ञान ज्योतिष शास्त्र का ही एक भाग है जो हथेली की रेखाओं को पढ़कर लक्षण और भविष्य बताने के लिए जानी जाती है। पूरे विश्व में इसे अलग अलग तरीकों से अध्ययन करके देखा जाता है। भारत में हस्त रेखा शास्त्र (famous astrologer in delhi ncr) का प्रयोग काफी पुराना है। जिस तरह ज्योतिष में ग्रह नक्षत्रों की स्थितियों के अनुसार जातक के भाग्य का अध्ययन किया जाता है उसी प्रकार हस्त रेखाएं भी विशेष स्थितियों के द्वारा मनुष्य के स्वभाव और उसके भविष्य को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें बताती हैं।

हाथो की बनावट, हथेलियों की रेखाओं और उसके अलावा कई रेखाएं हैं जो हाथ के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।

आइये जानते हैं हाथों की बनावट और हस्त रेखा शास्त्र (famous astrologer in delhi ncr) के बारे में :

आम तौर पर हस्तरेखा विज्ञान में चार प्रकार के हाथों का वर्गीकरण किया गया है।

  • ‘पृथ्वी’ हाथ : इस हाथ की पहचान चौड़ी, वर्गाकार हथेलियों और उंगलियों के अलावा मोटी या खुरदरी त्वचा के तौर पर होती है। वर्गाकार हाथ, जब हथेली की चौड़ाई अधिक और लम्बाई कम हो तो उसे वर्गाकार श्रेणी में रखा जाता है
  • ‘वायु’ हाथ : हथेली, वर्गाकार या आयताकार एवं लंबी उंगलियां होती हैं। इसके अलावा कभी-कभी पोर उभरे हुए, अंगूठों की लम्बी कम होती है।
  • ‘जल’ हाथ : इस प्रकार के हाथ देखने में छोटे होते हैं। कभी कभार अंडाकार हथेली वाले, लंबी व लचीली उंगलियों वाले भी होते हैं। इस प्रकार के हाथ में हथेली की चौड़ाई, लम्बाई से अधिक होती है और कभी कभी अँगुलियों के बराबर हो जाती है।
  • ‘अग्नि’ हाथ : इस प्रकार के हाथ में हथेली का आकार आयताकार या चौकोर होता है। इस प्रकार के हाथ में की त्वचा का रंग लाल या गुलाबी होगा । हाथ की अंगुलियाँ छोटी होती हैं। हथेली की लम्बाई आमतौर पर अंगुलिओं से लम्बी होती है।

हस्त रेखा विशेषज्ञों (famous astrologer in delhi ncr) के अनुसार पृथ्वी और जल हाथों में कम और गहरी रेखाएं होती हैं। इसी प्रकार वायु और अग्नि हाथ में अधिक रेखाएं जो की अस्पष्ट रूप से परिभाषित होंगी।

महत्वपूर्ण हस्त रेखाएं :

हृदय रेखा :

ये हथेली की सबसे महत्वपूर्ण रेखाओं में से एक है।हथेली के ऊपरी हिस्से और उंगलियों के नीचे की ओर होने वाली ये रेखा होती है। यह रेखा छोटी उंगली के नीचे हथेली के किनारे से और अंगूठे की तरफ उपर की ओर बढ़ती है। हस्तरेखा विशेषज्ञ (famous astrologer in delhi ncr) इसकी व्याख्या दिल के मामलों के संबंध में करते हैं। शारीरिक रूप से दिल का क्या हाल रहने वाला है और उसके अलावा भावनात्मक रूप से, सामाजिक रूप से आपका व्यवहार कैसा रहेगा इन सबका विश्लेषण ह्रदय रेखा के अध्ययन से किया जाता है।

मस्तिष्क रेखा :

इस रेखा की पहचान है कि यह रेखा तर्जनी उंगली के नीचे से शुरू होकर हथेली से बाहर की ओर जाती है। ये हथेली में तीन महत्वपूर्ण रेखाओं में से एक है जो जीवन और हृदय रेखा के मध्य में होती है। यह रेखा मन की प्रतिनिधि कारक होती है जो मानसिक क्षमता की परिचायक भी है। व्यक्ति के रचनात्मकता, उसकी बुद्धि लब्धि और अन्य मस्तिष्क से जुड़े कारकों को ये प्रितिनिधि रूप से बताती है।

जीवनरेखा :

यह रेखा अंगूठे के ऊपर से नीचे कलाई तक आती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यह रेखा व्यक्ति की जीवन उर्जा, शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन में होने वाले संकटों आदि के बारे में बताती हैं । इसके अलावा ये भी माना जाता है कि ये व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं और उससे होने वाले जीवन में परिवर्तनों के बारे में बात करती है।

भाग्य रेखा :

ये रेखा की पहचान ये है कि यह कलाई के पास हथेली के निचले हिस्से से शुरू होकर ऊपर मध्यमा अंगुली तक जाती है। यह रेखा अलग-अलग क्षेत्र में किये गए प्रयासों और उसके परिणामों के बारे में विश्लेषण प्रदान करती है। जीवन में मान, पद-प्रतिष्ठा के बारे में भी इसी रेखा से जाना जा सकता है।

विषय विशेषज्ञ ज्योतिषी(famous astrologer in delhi ncr) से परामर्श लेकर हस्तरेखाओं का विश्लेषण करवा सकते हैं। जीवन में आने वाली परेशानियों और उनके निवारण के उपाय भी आप इसके द्वारा प्राप्त कर सकते हो।