ज्योतिष विज्ञान कुंडली में उपस्थित सभी 9 ग्रहों के प्रभाव के आधार पर व्यक्ति के भाग्योदय और उसके जीवन में विभिन्न प्रभावों का अध्ययन कर बताता है। कुंडली विज्ञान में ग्रहों के प्रभावों को जानकर आप अपने बिज़नस, करियर , रिश्तों आदि में संतुलन और सफलता बनाये रख सकते हैं । अगर आपके जीवन में कुछ सही नही चल रहा है तो ज्योतिष सलाह से आप आसानी से भाग्योदय कर सकते हैं। चन्द्रमा और शुक्र की स्तिथियाँ आपके जीवन के महत्वपूर्ण भविष्य को प्रभावित करती है।

जन्मपत्रिका में लग्न से लेकर नौवां स्थान भाग्य का माना गया है। व्यक्ति का भाग्य कैसा होगा, कब उतार चढाव आयेंगे और कब किस्मत के सितारे चमकेंगे। किसी भी कुंडली में जातक का भाग्य या दुर्भाग्य उसके नवम भाव से देखा जाता है। जिस भी कुंडली में त्रिकोण भाव (नवम भाव पंचम से पंचम होना) बन रहा हो, ऐसे लोग बेहद भाग्यशाली होते हैं। इन्हें बड़े अवसर भी मिलते हैं और बहुत कम मेहनत के ये अच्छी सफलता हासिल करते लेते हैं।

  • आपकी कुंडली के नवम भाव का स्वामी का नवम भाव में ही उपस्थित हो तो ऐसे जातक का भाग्य उन्नत होता है। ऐसे जातक को उन्नति मिलती है। नवम भाव के स्वामी का रत्न धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है।
  • अगर नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव में होने से, भाग्य भाव द्वादश में होता है साथ ही अष्टम अशुभ भाव में होने जातक को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक को नवम भाव से जुड़ी वस्तु अपने घर की ताक़ में रखें।
  • नवम भाव का स्वामी अगर षष्टम भाव में उपस्थित हो तो ऐसा व्यक्ति कभी कर्जदार नही होता है। साथ ही शत्रुओं से भी लाभ मिलता है।
  • नवम भाव का स्वामी यदि चतुर्थ भाव में स्वराशि का हो या उच्च का हो या मित्र राशि का हो तो जातक उसी ग्रह का रत्न धारण करें । ऐसे जातक जनता से जुड़े कार्य जैसे राजनीति, भवन आदि के निर्माण सम्बन्धी व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  • स्वामी यदि नीच राशि का हो तो उससे संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिय। यदि नवम भाव का स्वामी स्वराशि या उच्च का हो या नवम भाव में हो तो उस ग्रह से संब‍ंधित वस्तुओं के दान से बचना चाहिए
  • नवम भाव अगर गुरु का हो तो ऐसे व्यक्ति को पुखराज धारण करना चाहिए। इस तरह की गृह स्तिथि वाला जातक धर्म-कर्म और परोपकार के कार्य करने वाला होगा।
  • नवम भाव में स्वराशि का सूर्य या मंगल उपस्ग्थित हो तो ऐसे जातक प्रगति करते हैं और उच्च पदों पर पहुँचते हैं। ऐसे जातकों
  • नवम भाव की महादशा या अंतरदशा स्तिथि में उस व्यक्ति को सम्बद्ध ग्रह से संबंधित रत्न पहनना चाहिए।

इनके अलावा भी ग्रहों की भिन्न-भिन्न स्तिथियाँ हमारे स्वास्थ्य, करियर और रिश्तों में भरपूर असर डालती हैं। जानते हैं कौनसे ग्रह क्या प्रभाव डालते हैं। कुंडली की दशाएं ही हमारे भाग्य का योग बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं । कुंडली के विश्लेषण से हम दुर्दशाओं को पहचान कर आप उनमे सुधार कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन विपरीत दशाओं के लिए आसान से उपाय बताये जाते हैं।

स्वास्थ्य :

ज्योतिष संवारे जीवन का भाग्य, जाने भाग्योदय के उपाय

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  • चन्द्रमा और कुंडली लग्न का स्वामी स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण माने गए हैं। अच्छी सेहत के लिए चन्द्रमा मजबूत होना आवश्यक माना गया है।
  • हालंकि कई बार ऐसा भी होता है जब चन्द्रमा मजबूत न हो लेकिन बृहस्पति मजबूत है तो आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा।
  • राहू और शनि अगर कुंडली में अशुभ भाव में उपस्थित है तो भी व्यक्ति की सेहत में उतार-चढाव बने रहेंगे ।

नौकरी :

ज्योतिष संवारे जीवन का भाग्य, जाने भाग्योदय के उपाय

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  • शनि और बृहस्पति की स्तिथि नौकरी और करियर को प्रभावित करती है अगर दोनों अच्छे प्रभाव में है तो आपको अच्छी नौकरी मिलेगी। शनि के अशुभ भाव में होने से नौकरी में कई तरह की परेशानियाँ जबकि बृहस्पति बिज़नेस में नुकसान को करवा सकता है।

विवाह :

ज्योतिष संवारे जीवन का भाग्य, जाने भाग्योदय के उपाय

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  • महिलाओं के वैवाहिक जीवन को बृहस्पति प्रभावित करता है इसलिए कई महिलाएं इस दिन व्रत उपवास भी करती हैं। ज्योतिष शास्त्र में पुरुषों के वैवाहिक सुख के लिए चंद्रमा और शुक्र ग्रह को जिम्मेदार माना गया है ।

अगर आप किसी भी प्रकार की ज्योतिष सलाह और समाधान पाना चाहते हैं तो अपनी जन्मपत्री विश्लेषण के लिए अच्छे विशेषज्ञ ज्योतिषी से सुझाव लेवें। कुछ आसान से उपायों को करके आप अपना भाग्योदय कर सकते हैं।