अगर आपके जीवन में अथाह कष्ट है, घर में कलह का वास है। अगर आपके रिश्तों में तनाव है, हर काम में अड़चन आती है, नौकरी में कोई तरक्की नहीं मिल रही है। तो हो जाइए सावधान क्योंकि यह लक्षण हैं सर्प दोष के, उस दोष के जो कभी किसी को चैन से नहीं रहने देता है। जातक की कुंडली में मौजूद दोषों में से एक है कालसर्प दोष जो अगर कुंडली में बन जाए तो जातक का जीवन कांटों की सेज बन जाता है। अगर आप भी इस तरह के दोष से ग्रस्त हैं तो इससे मुक्ति और राहत के उपाय आइए जानते हैं।

क्या है कालसर्प योग

ज्योतिष शास्त्र के आधार पर कालसर्प दो शब्दों से मिलकर बनता है काल और सर्प। शास्त्र के अनुसार काल का अर्थ है समय और सर्प का अर्थ सांप। इसे एक करके देखें तो जो अर्थ निकलकर आता है वो है समय रुपी सांप। कालसर्प का सामान्य अर्थ यह है कि जब कालसर्प योग कुंडली में बनता है तो सर्प दंश के समान कष्ट की अनुभूति जीवन में होती है। कहा जाता है कि जन्म कुंडली में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाए या केतु और राहु के बीच में आ जाए तो यह योग बनता है। राहु है सांप का मुंह और केतु है सांप की पूंछ तो जिस तरीके से सांप कुंडली मार लेता है, राहु और केतु भी इंसान के कुंडली में सर्प दोष बन जाता है। किसी प्रकार के शुभ योग को भी कालसर्प योग खत्म कर देता है।

कालसर्प योग के संकेत

सपने में नदी, तालाब, कुएं और समुंद्र का पानी दिखाई देना। सपने में खुद को पानी में गिरते देखना व उससे बाहर निकलने का प्रयास करते हुए देखना। रात को उल्टा होकर सोने पर ही चैन की नींद आती है। सपने में पेड़ों से फल गिरते दिखाई देना। पानी से और ज्यादा ऊंचाई से डर लगना। मन में अज्ञात भय का बना रहना। खुद को अन्य लोगों से झगड़ते हुए देखना। सपनें में बड़े-बड़े सांप दिखाई देना। नींद में शरीर पर सांप का रेंगत हुआ महसूस होना। यह सभी सर्प दोष के लक्षण हैं।

कालसर्प दोष दूर करने के अचूक उपाय

सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। बहते हुए पानी में राहु के 108 तंत्रों को प्रवाहित करें। हर मंगलवार को बताशा, सिंदूर चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें। पक्षियों को 40 दिनों तक जौ के दाने खिलाएं। बटुक भैरव की भी पूजा आराधना करने से कालसर्प दोष से निजात मिलता है। गणेश जी की भक्ति व पूजा करने से भी कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म होता है। सोमवार को भगवान शिव को तांबे या चांदी का सर्प पूजा पाठ के साथ यानि रुद्राभिषेक के साथ चढ़ाएं। मसूर की दाल को किसी भी शुभ मुहूर्त के दिन गरीब लोगों को दान दें। कालसर्प दोष को शांत करने के लिए बहते हुए पानी में लोहे के नाग-नागिन को बहा दें।

इन उपायों को करने से आप कालसर्प दोष से बच सकते हैं। इसके अलावा निराशा और असफलता के डर को मन से निकाल सतत प्रयास करते रहें। हर संभव कोशिश करते रहें निश्चित तौर पर सफलता प्राप्त होगी।