पति की लंबी उम्र के लिए महत्वपूर्ण है करवा चौथ व्रत

सुहागिन महिलाओं के जीवन में करवा चौथ व्रत का विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र व परिवार की खुशहाली की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं।

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। लेकिन इस व्रत को विधिपूर्वक रखा जाए तो शुभ परिणाम अवश्य मिलते हैं।

मुहूर्त 2018

तिथि व वार 27 अक्टूबर, शनिवार
पूजा मुहूर्त 17:36 से 18:54
चंद्रोदय 20:00 लगभग
चतुर्थी तिथि आरंभ 18:37 (27 अक्टूबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त 16:54 (28 अक्टूबर)

ज्यादातर महिलाएं नौकरी के चलते परिवार से भी दूर रहती हैं इसलिए इस व्रत को रखने की विधि उन्हें आनी चाहिए।

सबसे पहले इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से शुद्व होकर व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद दिन में ही करवा चौथ की पूरी पूजन सामग्री को एकत्र कर रख लेनी चाहिए।

इस तरह हैं पूजा विधि-

  • सबसे पहले दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित कर लेना चाहिए। विधि अनुसार पीली मिट्टी से मां गौरी व गणेश जी का स्‍वरूप बना लेना चाहिए जिसमें मां गौरी की गोद में गणेश जी बना कर बिठाना चाहिए और पूजा समय के दौरान इन स्‍वरूपों की पूजा करनी चाहिए।
  • मां गौरी को लकड़ी के बने आसन पर बिठा कर और चौक बनाकर आसन को वहां रख कर गौरी मां को चुनरी ओढ़ानी भी चाहिए और बिंदी आदि सुहाग सामग्री से श्रृंगार करना चाहिए। इस दौरान जल से भरा कलश रख लेना चाहिए।
  • अब मिट्टी का टोंटीदार करवा लेकर इसमे गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर कर ऊपर दक्षिणा रख देनी चाहिए और रोली से करवे पर स्वास्तिक भी बना देना चाहिए।
  • इसके बाद गौरी,गणेश व करवा की अपनी परंपरा अनुसार पूजा करनी चाहिए और पति की लंबी उम्र व परिवार की खुशहाली की कामना करनी चाहिए
  • बाद में करवा चौथ की कथा बोलनी या फिर सुन कर वरिष्ठ महिलाओं के चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • रात्रि में परंपरा अनुसार छननी से चंद्र दर्शन कर अर्घ्य देना चाहिए और अपने पति की लंबी उम्र की कामना कर पति के पैरों को छूकर भी आशीर्वाद लेकर व्रत खोलना चाहिए।
  • इस दिन सुहागिन महिलाओं को लाल रंग के ही कपडे पहनने चाहिए क्यों कि यह रंग हिन्दू धर्म में शुभता का प्रतीक होता है।लेकिन करवा चौ​थ पर महिलाओं को कुछ चीजों का विशेष ध्यान भी रखना चाहिए और सफेद वस्त्रों को स्पर्श नहीं कर दूर रहना चाहिए और ना ही दूध उवालना चाहिए।