हम जिस वक्त इस धरती पर कदम रखते हैं उसी पल को आधार मानकर हमारे जीवन की दिशा और दशा तय हो जाती है। इस दिशा और दशा का ज्ञान हमारे माता-पिता या ख़ुद को भले ही ना हो लेकिन ज्योतिष विज्ञान इस बारे में बहुत कुछ जानता है। ज्योतिष आपके जन्म लेने के दिन, समय और जगह के मुताबिक कुंडली तैयार कर देता है। जिसमें आपके जीवन में होने वाली हर घटना या व्यवहार का जिक्र रहता है। इंसान के जन्म से लेकर शादी जैसे अहम बंधन में कुंडली की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। तमाम ज्योतिष के जानकार शादी से पहले वर और वधु के मिलान को अत्यंत आवश्यक मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि शादी के बाद वर-वधु का जीवन सुखी रहे इसलिए कुंडली मिलान के माध्यम से दोनों के गुण मिलाए जाते हैं।

कुंडली

  • ज्योतिष अध्ययन में जन्मलग्न कुंडली मुख्य होती है। उसके सहायक रूप में 15 कुंडलियां होती है।
  • पूजा घर के ऊपर अथवा इसके अगल-बगल शौचालय या स्नानघर नहीं होना चाहिए।

गुण मिलान

  • कुंडली मिलान वर और वधु की जन्म कुंडली (जन्मपत्री) को आधार मानकर किया जाता है। इसमें चंद्र ग्रह की स्थिति को ध्यान में रखकर दोनों के गुण मिलाए जाते हैं।
  • गुण मिलान में वर्ण, वैश्य, नक्षत्र, योनि, गृह मैत्री, गण, भटकूट, नाड़ी जैसे आठ पक्षों पर विचार किया जाता है।

कुंडली का मंगल

  • विवाह के दौरान कुंडली में मांगलिक दोष पर भी विचार किया जाता है।
  • ऐसी मिथक और मान्यता हैं कि पति-पत्नी में से अगर एक व्यक्ति मांगलिक हो और दूसरा ना हो तो दूसरे की मृत्यु तक हो सकती है।
  • पति-पत्नी के बीच हिंसा तक हो सकती है।
  • इसलिए यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष हो तो इसे दूर करने के उपाय करने चाहिए।

कुंडली मिलाते समय कुछ बातों का रखें ध्यान

  • कुंडली मिलान के लिए किसी भी राह चलते ज्योतिष/पंडित के पास ना जाकर शास्त्रों और ज्योतिष विद्या के जानकार को ही कुंडली दिखाएं।
  • कुंडली में जन्म स्थान, समय वर्ष आदि की जानकारी एकदम सही होनी चाहिए।
  • केवल कुंडली के आधार पर ही जीवन का हर निर्णय लेने की बजाए परिस्थितियों को भी ध्यान में रखें।

ऐसा कहा जाता है कि रोकथाम इलाज से बेहतर होता है इसलिए कुंडली मिलान के द्वारा हमसफर चुन सुखी व आनंदकारी जीवन व्यतीत कर सकते हैं।